scriptKidney Awareness Week- 2018 : किडनी खराब होने पर बढ़ता है यूरिया व क्रेटनीन का स्तर | Urea, kretnin level rises due to problem in kidneys | Patrika News

Kidney Awareness Week- 2018 : किडनी खराब होने पर बढ़ता है यूरिया व क्रेटनीन का स्तर

locationजयपुरPublished: Aug 30, 2018 05:58:55 am

शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम,पोटैशियम व अन्य मिनरल्स) का संतुलन बनाने का काम किडनी करती है।

 किडनी खराब होने पर बढ़ता है यूरिया व क्रेटनीन का स्तर

Kidney Awareness Week- 2018 : किडनी खराब होने पर बढ़ता है यूरिया व क्रेटनीन का स्तर

शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम,पोटैशियम व अन्य मिनरल्स) का संतुलन बनाने का काम किडनी करती है। किडनी में दो हॉर्मोन होते हैं जो ब्लड प्रेशर नियंत्रित करते हैं जबकि एक हॉर्मोन बोन मैरो में जाकर रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) बनाता है। इससे खून बनता है।

किडनी कैल्शियम बनाने का भी काम करती है। के्रटनीन के बढऩे का मतलब है कि किडनी फंक्शन 50 प्रतिशत ही काम कर रहा है। 60 की उम्र में यदि के्रटनीन लेवल ८ मिग्रा. से ज्यादा है तो किडनी 5 फीसदी ही काम करती है। किडनी संबंधी परेशानी होने पर शरीर, आंखों और पलकों के नीचे सूजन, शाम होते- होते ये सूजन पैरों तक आ जाती है। भूख न लगना, जी मिचलाना, थकावट, रात के समय दो से तीन बार यूरिन के लिए उठना, थकावट और खून की कमी भी प्रमुख लक्षण हैं।

दो तरह की परेशानी : पहली एक्यूट किडनी डिजीज जो अचानक होती है जिसमें किडनी की कार्यक्षमता तेजी से कम हो जाती है। इसके कई कारण होते हैं जिसमें शरीर में किसी तरह का संक्रमण (सेप्सिस), उल्टी दस्त, मलेरिया, अत्यधिक दर्दनिवारक दवा से और ब्लड प्रेशर लगातार कम होना शामिल है।

एक्यूट किडनी डिजीज का समय पर इलाज कराया जाए तो यह पूरी तरह ठीक हो सकती है। क्रॉनिक किडनी डिजिज में किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होती है। इसमें ब्लड यूरिया, सीरम क्रेटनीन बढऩे लगता है। किडनी रोग से बचाव के लिए डॉक्टरी सलाह पर हीमोग्लोबिन, ब्लड यूरिया, सीरम क्रेटनीन, सीरम इलेक्ट्रोलाइट और किडनी फंक्शन टैस्ट करा सकते हैं। किडनी का आकार जानने के लिए सोनोग्राफी जांच करवाते हैं। गंभीर स्थिति में रीनल बायोप्सी जांच कराई जाती है।

मरीज को वजन के हिसाब से प्रोटीन
किडनी रोग का बड़ा कारण हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है। सामान्यत: दोनों किडनी खराब होती हैं लेकिन कभी कभी एक किडनी में भी तकलीफ हो सकती है जिसे समय पर इलाज से इसे ठीक कर सकते हैं। किडनी अगर थोड़ी भी ठीक है तो काम करेगी। क्रॉनिक किडनी डिजीज में वजन के हिसाब से रोगी को ०.८ ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति को प्रति किलो एक ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।

हिसाब से पीएं पानी
किडनी के मरीज में यूरिन कम बनता है। पानी अधिक पीने से शरीर में सूजन आएगी। इससे ब्लड प्रेशर असंतुलित होगा। सांस फूलना शुरू हो सकती है।


डायलिसिस की जरूरत
क्रॉनिक किडनी डिजीज के मरीजों की होती है जो एडवांस स्टेज में होते हैं। डायलिसिस से खून में मौजूद हानिकारक और विषैले तत्त्वों को साफ करने के बाद साफ खून शरीर में वापस चला जाता है।

किडनी प्रत्यारोपण
क्रॉनिक किडनी डिजिज के गंभीर होने पर किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प है। माता-पिता, भाई-बहन या अन्य करीबी रिश्तेदार जो नियम के दायरे में आते हैं वे किडनी दान कर सकते हैं। किडनी प्रत्यारोपण के बाद समय पर दवा लेने के साथ खानपान और दिनचर्या का खास खयाल रखना चाहिए। १८ से ६० साल की उम्र का स्वस्थ व्यक्ति किडनी दान कर सकता है।

ट्रेंडिंग वीडियो