ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण-
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण शुरूआत में नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन जब अक्सर कोई मामूली सी चोट लग जाने पर भी फ्रैक्चर होने लगे, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस होने के संकेत होते हैं।ऑस्टियोपोरोसिस में शरीर के जोड़ में जैसे रीढ़ की हड्डी, कलाई और हाथ की हड्डी, घुटने, कोहनी में जल्दी-जल्दी फ्रैक्चर होने लगते हैं।बहुत जल्दी थक जाना, शरीर में दर्द होना, सुबह के समय कमर में दर्द होना ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण होते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने की शुरूआत में हड्डियों और मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है और ये दर्द धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। इसमें पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का सा भी दबाव पड़ने पर दर्द तेज होने लगता है।
ऑस्टियोपोरोसिस होने के कारण-
ऑस्टियोपोरोसिस होने के कई अलग-अलग कारण होते हैं।जब शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट की भारी कमी होती है तब ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। कैल्शियम का सेवन पर्याप्त मात्रा में नहीं करने से हड्डियों के उत्पादन और उनके ऊतकों को नुकसान होता है जिससे हड्डियां कमजोर होकर टूटने लगती है। ऑस्टियोपोरोसिस होने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। शरीर में सूजन, हार्मोन से संबंधित स्थितियां, माता-पिता में हिप फ्रैक्चर का इतिहास और कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने से हड्डी की ताकत या हार्मोन में गड़बड़ी होने के कारण भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है। कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) होना, ज्यादा शराब पीना या धूम्रपान करना भी ऑस्टियोपोरोसिस का कारण होता है।
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव-
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के पर्याप्त कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करें। कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, हरी पत्तेदार सब्जियां और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों का भरपूर मात्रा में सेवन करें। विटामिन डी पूरक या दैनिक मल्टीविटामिन डी भी लें। नियमित रूप से वजन उठाने वाले व्यायाम करें। धूम्रपान न करें। ज़्यादा शराब न पिएं। रजोनिवृत्ति वाली माहिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस की जाँचें अवश्य करवाएं।