डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह ही जीका एक बड़ी जन-स्वास्थ्य समस्या है। जीका वायरस से संक्रमित कई लोग खुद को बीमार महसूस नहीं करते। यदि मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, जिसके खून में वायरस मौजूद हैं, तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है। वायरस संक्रमित महिला के गर्भ में फैल सकता है और शिशुओं में माइक्रोसिफेली और अन्य गंभीर मस्तिष्क रोगों का कारण बन सकता है। वयस्कों में यह गुलैन-बैरे सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है, जिससे कई जटिलताओं की शुरुआत होती है।
जीका वायरस संक्रमण के लिए कोई टीका नहीं है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा पर जाने वालों, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं का मच्छरों से भलीभांति बचाव करना चाहिए। समय की मांग है कि देश में वायरस के फैलाव पर निगरानी बढ़ाई जाए। मोहल्लों, बस्तियों, शहरों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डों, बंदरगाहों जैसी जगहों पर अलर्ट रहा जाए।
जीका वायरस से बचने के कुछ सुझाव :
* जब एडिस मच्छर सक्रिय होते हैं, उस समय घर के अंदर रहें। ये मच्छर दिन के दौरान, सुबह बहुत जल्दी और सूर्यास्त से कुछ घंटे पहले काटते हैं।
* जब आप बाहर जाएं तो जूते, मोजे, लंबी आस्तीन वाली शर्ट और फुलपैंट पहनें।
* यह सुनिश्चित करें कि मच्छरों को रोकने के लिए कमरे में स्क्रीन लगी हो।
* ऐसे बग-स्प्रे या क्रीम लगाकर बाहर निकलें, जिसमें डीट या पिकारिडिन नामक रसायन मौजूद हो।