घर आने को किए सात लाख खर्च…
उत्तर-पूर्व इंफाल से दुमका जिले के रामगढ़ और गोपीकांदर प्रखंड के रहने वाले 96 प्रवासी श्रमिकों ने घर वापस लौटने पर बताया कि बसों से लौटने के लिए इन्हें सात लाख रुपए भाड़े पर खर्च करना पड़ा। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन प्रारंभ होने के साथ ही उनलोगों ने राज्य सरकार के एप पर ऑनलाइन फॉर्म भरे अधिकारियों और नेताओं को फोन कर गुहार लगाई, कोई रास्ता नहीं निकला, फिर भाड़े पर बस लेकर वापस लौटे।
काम खत्म, कब तक बैठते…
घर वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते काम बंद हो गया है, वहां रहने में कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन हाथ धरे कब तक बैठते, झारखंड में भी कोरोना का संक्रमण फैल रहा है, इसे लेकर घर-परिवार की चिंता अलग सताने लगी और घर वापस लौटने के बाद अब उन लोगों ने खुद को क्वारंटाइन में रखने का फैसला लिया है।
असम से आया जत्था…
वहीं 41 प्रवासी मजदूरों का एक और जत्था असम के सिल्चर से 2.35 लाख रुपए खर्च कर बस से दुमका वापस लौटा। दुमका के रामगढ़ प्रखंड अंतर्गत चिंहुटिया और शंकपुर गांव के प्रवासी मजदूर फूलचंदर ने बताया कि वे सभी इंफाल में भवन निर्माण का कार्य करते थे, लॉकडाउन में काम बंद हो गया, जिसके कारण वापस लौटने का निर्णय लिया। वहीं सुसनियां गांव के रहने वाले संजय कुमार, भरत कुमार और निरंजन समेत कई मजदूरों ने बताया कि वे लोग असम में सड़क निर्माण कंपनी में मजदूरी करते थे। इन मजदूरों ने भी अपनी जेब से पैसे खर्च कर बस भाड़ा पर लेकर घर वापसी का निर्णय लिया।
प्रति व्यक्ति आठ से 10 हजार का खर्चा…
दूसरी तरफ ट्रक और मालवाहक वाहनों से राज्य के पलामू, गढ़वा, गिरिडीह चतरा और लातेहार जिले के वाले मजदूरों ने बताया कि उन्हें महाराष्ट्र और गुजरात से लौटने में प्रति व्यक्ति आठ से दस हजार रुपए खर्च करना पड़ा, सामान्य दिनों में इतनी राशि खर्च करने पर वे हवाई मार्ग से भी अपने गृह राज्य लौट सकते थे, लेकिन संकट के इस दौरान उन्हें कई परेशानियों से गुजरना पड़ा।