दुमका

मजदूर दे रहें हवाई जहाज से भी अधिक किराया, बिल्कुल भी आसान नहीं घर की राह

घर (Migrant Labourers Issue) पहुंचने वाले मजदूरों (Jharkhand Migrant Labourers) के जत्थे ने लाखों रुपए खर्च किए है तब जाकर (Jharkhand News) मंजिल पर पहुंचे (Jharkhand Migrant Labourers Spent Lakh Rupees To Return Home) हैं…
 

दुमकाMay 22, 2020 / 07:13 pm

Prateek

मजदूर दे रहें हवाई जहाज से भी अधिक किराया, बिल्कुल भी आसान नहीं घर की राह

(दुमका): लॉकडाउन-4 तक पहुंचते-पहुंचते लोगों के सब्र का बांध टूट चुका है। अपने गांव-शहर को छोड़ कर रोजगार की तलाश में हजारों किलोमीटर दूर दूसरे शहरों में गए लाखों लोगों का रोजगार छीन चुका है और इस संकट की घड़ी में रेल और हवाई सेवा बंद होने के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक पैदल, साईकिल या मालवाहक वाहनों से अपने घर वापस लौटने की कोशिश में जुटे है। इस क्रम में बेबश प्रवासी कामगारों से मालवाहक वाहन मालिकों द्वारा भारी रकम की वसूली की जा रही है। ट्रक, कंटनेर और अन्य मालवाहक वाहनों से घर वापस लौट रहे प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि उन्हें अपनी मातृभूमि वापस लौटने में इस संकट की घड़ी में हवाई जहाज के टिकट से अधिक का किराया भुगतान करना पड़ा।

 

घर आने को किए सात लाख खर्च…

उत्तर-पूर्व इंफाल से दुमका जिले के रामगढ़ और गोपीकांदर प्रखंड के रहने वाले 96 प्रवासी श्रमिकों ने घर वापस लौटने पर बताया कि बसों से लौटने के लिए इन्हें सात लाख रुपए भाड़े पर खर्च करना पड़ा। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन प्रारंभ होने के साथ ही उनलोगों ने राज्य सरकार के एप पर ऑनलाइन फॉर्म भरे अधिकारियों और नेताओं को फोन कर गुहार लगाई, कोई रास्ता नहीं निकला, फिर भाड़े पर बस लेकर वापस लौटे।

काम खत्म, कब तक बैठते…

घर वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते काम बंद हो गया है, वहां रहने में कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन हाथ धरे कब तक बैठते, झारखंड में भी कोरोना का संक्रमण फैल रहा है, इसे लेकर घर-परिवार की चिंता अलग सताने लगी और घर वापस लौटने के बाद अब उन लोगों ने खुद को क्वारंटाइन में रखने का फैसला लिया है।

असम से आया जत्था…

वहीं 41 प्रवासी मजदूरों का एक और जत्था असम के सिल्चर से 2.35 लाख रुपए खर्च कर बस से दुमका वापस लौटा। दुमका के रामगढ़ प्रखंड अंतर्गत चिंहुटिया और शंकपुर गांव के प्रवासी मजदूर फूलचंदर ने बताया कि वे सभी इंफाल में भवन निर्माण का कार्य करते थे, लॉकडाउन में काम बंद हो गया, जिसके कारण वापस लौटने का निर्णय लिया। वहीं सुसनियां गांव के रहने वाले संजय कुमार, भरत कुमार और निरंजन समेत कई मजदूरों ने बताया कि वे लोग असम में सड़क निर्माण कंपनी में मजदूरी करते थे। इन मजदूरों ने भी अपनी जेब से पैसे खर्च कर बस भाड़ा पर लेकर घर वापसी का निर्णय लिया।

प्रति व्यक्ति आठ से 10 हजार का खर्चा…

दूसरी तरफ ट्रक और मालवाहक वाहनों से राज्य के पलामू, गढ़वा, गिरिडीह चतरा और लातेहार जिले के वाले मजदूरों ने बताया कि उन्हें महाराष्ट्र और गुजरात से लौटने में प्रति व्यक्ति आठ से दस हजार रुपए खर्च करना पड़ा, सामान्य दिनों में इतनी राशि खर्च करने पर वे हवाई मार्ग से भी अपने गृह राज्य लौट सकते थे, लेकिन संकट के इस दौरान उन्हें कई परेशानियों से गुजरना पड़ा।

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