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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि राज्य में जो मजदूर वापस लौटे है वह सरकार से अनुमति लेने के बाद ही काम के लिए बाहर जा सकते हैं। इसके पीछे सरकार ने मजदूर हितों की बात कही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि बड़ी संख्या में मजदूरों की वापसी के बाद राज्य श्रमिक वर्ग की अधिक बसावट वाले राज्य के रूप में उभर कर सामने आया है। ऐसे में सरकार सभी प्रवासी श्रमिकों का डाटा तैयार करेगी जिससे भविष्य में उन पर शोषण होता है या उन्हें कोई भी दिक्कत आती है तो सरकार उनकी मदद करेगी।
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सीएम ने यह भी कहा कि सीमावर्ती इलाकों में मजदूरों की बड़ी भूमिका रही है। पहले मजदूरों के आने—जाने पर पता नहीं चल पाता था। लद्दाख जैसे दुर्गम इलाके जहां कई तरह की पाबंदियां होती है, वहां बिना विशेष सहयोग के कोई नहीं जा पता लेकिन जब मजदूर को समस्या होती है तो बड़ी दिक्कत होती है। ऐसे में बाहर जाने वाले मजदूरों की जानकारी रखना आवश्यक है। सीएम ने यह भी कहा कि बाहर जाने वाली महिलाओं के शोषण की ख़बरें भी सामने आई है ऐसे में मजदूर सरकार को जानकारी देने के बाद ही बाहर जा सकेंगे जिससे हर स्थिति में उनकी मदद की जा सके।
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गौरतलब है कि इससे पहले उत्तरप्रदेश में भी मजदूरों के लिए ऐसा आदेश जारी किया गया था। लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया। अब तक प्रदेश में अलग—अलग माध्यमों से लगभग 4 लाख मजदूर वापस आ चुके हैं। अभी भी मजदूरों की वापसी जारी है।