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डूंगरपुर

गजब ! राजस्थान की इस सरकारी यूनिवर्सिटी में इन विषयों की प्रयोगशाला ही नहीं, फिर भी बांट रहे डिग्री

एमएससी की फीस की तुलना करें तो राजकीय महाविद्यालयों में एमएससी रेगुलर की फीस अधिकतम दो से ढाई हजार रुपए है, जबकि यूनिवर्सिटी की फीस कम से कम 10 हजार रुपए है। इसके बावजूद स्टूडेंट्स को आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

डूंगरपुरApr 18, 2024 / 04:51 pm

जमील खान

योगेशकुमार शर्मा
डूंगरपुर/बांसवाड़ा. गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बिन प्रायोगिक साधन व सुविधाओं के साइंस एवं भूगोल जैसे विषयों का गत पांच साल से संचालन कर रहा है। विश्वविद्यालय के पास अपनी स्वयं की न तो कोई प्रयोगशाला है और न ही प्रायोगिक उपकरण। इसके बाद भी विश्वविद्यालय इन प्रायोगिक विषयों में राजस्थान पत्रिकातकोत्तर स्तर की डिग्रियां करवा रहा है। ऐसे में विश्वविद्यालय से जारी डिग्रियों पर सवाल उठ रहे हैं। विश्वविद्यालय से प्रायोगिक परीक्षाएं कहां हुईं ? कैसे करवाई गईं ? इसका ठीक से जवाब नहीं मिल रहा है। हालात यह है कि इस सत्र में अब तक भी बॉटनी और जूलॉजी विषय के प्रायोगिक कार्य व परीक्षा के विषयगत विवि के पास कोई इंतजाम नहीं हैं। विवि अब गोविंद गुरु कॉलेज के साथ प्रायोगिक कार्य कराए जाने को लेकर एमओयू कराए जाने की बात कह रहा है। इससे भी स्पष्ट है कि विवि में अब तक प्रायोगिक कार्य के कोई इंतजाम नहीं हैं। इससे क्वालिटी एजुकेशन की मुहिम भी प्रभावित हो रही है। साइंस व भूगोल जैसे विषयों में प्रायोगिक कार्य के अभ्यास बिना डिग्री कितनी उपयोगी होगी ? यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है।
फीस भी अधिक
एमएससी की फीस की तुलना करें तो राजकीय महाविद्यालयों में एमएससी रेगुलर की फीस अधिकतम दो से ढाई हजार रुपए है, जबकि यूनिवर्सिटी की फीस कम से कम 10 हजार रुपए है। इसके बावजूद स्टूडेंट्स को आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
यह है स्थिति
विश्वविद्यालय द्वारा 5 प्रायोगिक विषयों की पीजी कक्षाओं का नियमित संचालन (बॉटनी, जूलॉजी, केमिस्ट्री,जियोग्राफी एवं संगीत (संगीत केवल एक बैच ही चला, फिलहाल बंद)। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सभी प्रायोगिक पीजी विषयों की कोई अलग से विषय के लिए निर्धारित आवश्यक सुविधा-संम्पन्न प्रयोगशाला नहीं है। विज्ञान पीजी के प्रायोगिक कार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के लैब में कराए जा रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि इन पीजी विषयों के लैब की कोई सामग्री नहीं है।
विवि प्रशासन इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रायोगिक कार्य का तर्क दे रहा है, लेकिन यह भी सिरे से खारिज योग्य है। क्योंकि पत्रिका संवाददाता ने इंजीनियरिंग कॉलेज में साधन-सुविधाओं की पड़ताल की तो यहां एक बारगी कैमेस्ट्री का प्रयोगिक कार्य के लिए कुछ सामग्री उपलब्ध होना पाया गया। पर, बॉटनी, जूलॉजी, जियोग्राफी एवं संगीत जैसे विषयों के लिए आवश्यक प्रायोगिक साधनों का इंजीनियरिंग कॉलेज से कोई लेना-देना नहीं है। इधर, भूगोल विषय के प्रायोगिक कार्य गोविंद गुरु कॉलेज से सामग्री मांग कर काम निकाला जा रहा है। सीधे परीक्षाएं ही आयोजित करवाई जा रही हैं। स्टूडेंट्स को प्रायोगिक कार्य के अभ्यास की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
इंजीनियरिंग कॉलेज में सुविधा
प्रायोगिक कार्य इंजीनियरिंग कॉलेज में हो रहा है। इस सुविधा का विस्तार और बदलाव किया जाना है। फिलहाल इससे अधिक नहीं बता सकते। – डॉ. राके्श डामोर, अकादमिक प्रभारी, जीजीटीयू
एमओयू कराएंगे
विवि के कुछ प्रायोगिक कार्य इंजीनियरिंग कॉलेज में होते हैं। इसके अलावा कुछ विषयों के पहले प्रेक्टिकल की जानकारी नहीं है। मेरे आने के बाद इस दिशा में काम चल रहा है। हम गोविंद गुरु कॉलेज से एमओयू करेंगे। प्रायोगिक कार्य नियमानुसार हो इसके लिए कुलसचिव को निर्देश दिए जाएंगे। – प्रो. के.एस. ठाकुर, कुलपति जीजीटीयू
प्रस्ताव आएगा, तो देखेंगे
विवि से अब तक प्रायोगिक कार्य को लेकर कोई एमओयू नहीं है। स्थानीय स्तर पर एमओयू सीधे नहीं कर सकते हैं। प्रस्ताव आता है तो आयुक्त कॉलेज शिक्षा, जयपुर को भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया में समय लगना तय है। आयुक्त से मिले निर्देशानुसार ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। – प्रो.कल्याणमल सिंघाड़ा, प्राचार्य, गोविंद गुरु कॉलेज, बांसवाड़ा
निजी पर नकेल, इधर नियम दरकिनार
जीजीटीयू द्वारा प्राइवेट कॉलेज को साइंस विषय की सम्बद्धता देने के लिए प्रत्येक विषय के लिए एवं प्रत्येक कोर्स में अलग-अलग लैब की अनिवार्यता का नियम (बीएससी और एम्एससी के लिए अलग-अलग लैब) पूरा होने पर ही सम्बद्धता दी जाती है।

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