चटपटे व्यंजनों से महक रही हैं गांवों की गलियां
लॉकडाउन ने लोगों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव ला दिया है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में तो जीवन शैली पुराने दौर की ओर लौटती प्रतीत हो रही है। पूर्व में घरों में परंपरागत व्यंजन आदि बना करते थे, लेकिन वक्त के साथ यह धीरे-धीरे बंद हो गया था। लॉकडाउन में लोग पुन: इन परंपरागत व्यंजनों की ओर लौटने लगे हैं।
डूंगरपुर
Published: April 21, 2020 07:57:51 pm
चटपटे व्यंजनों से महक रही हैं गांवों की गलियां
- लॉकडाउन के चलते गांव लौट रहे पुरानी जीवन शैली पर
डूंगरपुर.
लॉकडाउन ने लोगों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव ला दिया है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में तो जीवन शैली पुराने दौर की ओर लौटती प्रतीत हो रही है। पूर्व में घरों में परंपरागत व्यंजन आदि बना करते थे, लेकिन वक्त के साथ यह धीरे-धीरे बंद हो गया था। लॉकडाउन में लोग पुन: इन परंपरागत व्यंजनों की ओर लौटने लगे हैं।
होटल, रेस्टारेंट संचालकों का गांव गोल, अब घरों पर नहीं बन रहे व्यंजन
आसपुर. वागड़ के तोरणद्वार सोमनदी के तट पर बसे गांव गोल की फिजां ही बदली हुई है। नित नए नमकीन व मीठे व्यंजन से पूरा गांव महक रहा है। यहां के अधिकांश लोग होटल, रेस्टोरेंट, भोजनालय एवं डायनिंग हाल संचालक होकर आसपुर, सागवाड़ा, बांसवाड़ा ,इंदौर, मुम्बई सहित मालवा एवं महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में अपना कारोबार चलाते हैं। यहां के अप्रवासी अरसे से विभिन्न प्रकार के भोजन, व्यंजन, चटपटे नमकीन व मिठाइयां आदि बनाने में सिद्ध हस्त है वहीं खाने के भी शौकिन हैं। पिछले एक माह से लॉकडाउन के चलते इनके सभी प्रतिष्ठान बंद होने से अधिकांश लोग गांव आ गए हैं। इधर, गांवों में तो वैसे व्यंजन मिलते नहीं परंतु बनाने के लिए कच्चा सामान तो लगभग सभी मिल जाता है। चूंकि इनका व्यवसाय अलसुबह 5 से रात 10 बजे तक कड़ी मेहनत का रहता है। ऐसे में इन दिनों घर पर खाली बैठना इनको रास नहीं आ रहा है। घर पर खाली बैठे अप्रवासी लोगों ने बंदिशों का समय गुजारने नया तरीका इजाद कर नमकीन एवं अन्य चटपटे आईटम बनाकर एक दूसरे को आदान प्रदान किया। इसमें खाने खिलाने का शौक भी पूरा और टाईम पास भी हो रहा है। नमकीन बनाने सांझा चूल्हा भी किया। हाल ही में पंचवटी गोल में मोहल्ले के 10 परिवारों ने मिलकर सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान रखते हुए सांझे चूहे पर लगभग 40 किलो नमकीन बनाकर आपस में बांट लिया। रतलाम में रेस्टोरेंट व्यवसायी विष्णु अलावत एवं बांसवाड़ा में डायनिंग हाल व्यवसायी लोकेश अलावत ने बताया कि इस कारोबार में हमारी व्यस्तता अधिक होने के साथ उसी अनुसार खानपान सेट हो जाता है। अब घर पर हैं तो यहां की दाल सब्जी रोटी के साथ जब भी कुछ चटपटा खाने की इच्छा होती है तो हम उसी स्टाईल में घर पर भी बना लेते हैं। पूर्व होटल रेस्टोरेंट व्यवसायी प्रकाश डबरावत ने बताया कि शुरू से वहां की चटपटी नमकीन का उपयोग आदत में रहा है अब लाकडाउन से बाजार में ये वस्तु नहीं मिलती तो कभी सामूहिक तो कभी घर पर ही बना लेते है। इस बहाने घर की शुद्ध नमकीन भी मिल जाती है।
घर पर बनने लगे परंपरागत व्यंजन
पुनाली. पूरे देश में लॉक डाउन चल रहा है। लोग घरों में रहकर अपनी व देश की इस महामारी से सुरक्षा कर रहे हैं। कई लोग घर में रहते हुए रचनात्मक कार्यों में अपना मन लगा रहे हैं। पुरानी ग्रामीण जीवन शैली को भूला चुके लोगों को इस अवधि ने दोबारा जड़ों की ओर लौटने का अवसर दिया है। बच्चे व नौजवान पुराने भारतीय व्यंजन सेवईया को भूलकर मेगी और नूडल्स को अपना व्यंजन मानने लगे थे। लॉक डाउन ने बहुत से लोगों को अपने पुराने व्यंजनों की तरफ आकर्षित किया है। ऐसा ही एक नजारा पुनाली के एक घर में देखने को मिला। यहां मां व बेटा ने परंपरागत तरीके से सेवईयां बनाई। पुरानी मशीन खाट के पाए से बांधकर बेटा चला रहा था व मां सेवईया निकालकर अपने पास ही उल्टी रखी खाट पर उनको सुखा रहीं थी।

चटपटे व्यंजनों से महक रही हैं गांवों की गलियां
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