राजस्थान का रणवे बूथ, जहां कांग्रेस को मिले अधिक वोटहमने बूथ वार प्लानिंग बनाई है। जहां हम कमजोर रहे थे, उस पर विशेष फोकस है, जहां बढ़त मिली, उसे और मजबूत करने का प्रयास करेंगे। विधानसभा क्षेत्र : सागवाड़ास्थिति : कांग्रेस के पक्ष में खडलई बूथ पर जमकर वोटिंग हुई मगर कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र बामणिया चुनाव नहीं जीत पाए। यह बामणिया के गृह गांव से सटा हुआ क्षेत्र है। गांव की दशा में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। कुछ सीसी सडक़ें जरूर नई बनी, लेकिन मूलभुत सुविधाओं का आज भी अभाव है।मतदान केन्द्र : १०७कांग्रेस को मिले वोट ८८५मुद्दे : पहुंच सडक़ अच्छी नहीं, बिजली, पेयजल की भी समस्या—————————-विधानसभा क्षेत्र : चौरासी स्थिति : कांग्रेस के पक्ष में खडलई बूथ पर जमकर वोटिंग हुई मगर कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र बामणिया चुनाव नहीं जीत पाए। यह बामणिया के गृह गांव से सटा हुआ क्षेत्र है। गांव की दशा में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। कुछ सीसी सडक़ें जरूर नई बनी, लेकिन मूलभुत सुविधाओं का आज भी अभाव है।मतदान केन्द्र : १५६कांग्रेस को मिले वोट ८६३मुद्दे : मूलभुत सुविधाएं आवश्यकतानुसार नहीं—————————-विधानसभा क्षेत्र : सागवाड़ास्थिति : इसमें चिबूड़ा गांव आता है। यह कांग्रेस प्रत्याशी बामणिया का गृह गांव है। बामणिया से पहले उनके पिताजी भीखाभाई कई दफा विधायक और मंत्री भी रहे हैं। हालांकि गांव की दशा आज भी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं कही जा सकती। बिजली, पानी, चिकित्सा, रोजगार जैसी समस्याएं आज भी काम हैंमतदान केन्द्र : १६५कांग्रेस को मिले वोट ८३६मुद्दे : मूलभुत सुविधाओं की कमी—————————-विधानसभा क्षेत्र : डूंगरपुरस्थिति : इस क्षेत्र डूंगरपुर शहर की आमीर कॉलोनी शामिल है। यह अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र है। कांग्रेस को परंपरागत वोट मिलते हैं। क्षेत्र कच्ची बस्ती नुमा है। उसकी हालत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ, जो काम हुए वह भी नगरीय निकाय के माध्यम से हो रहे हैं। कांग्र्रेस प्रत्याशी तो दोबारा क्षेत्र में गए ही नहीं।मतदान केन्द्र : १४२कांग्रेस को मिले वोट ६७८मुद्दे : रोजगार के अवसरों की कमी—————————-विधानसभा क्षेत्र : चौरासीस्थिति : दरियाटी मुख्य गांव शामिल है। यह भी कांग्रेस प्रत्याशी का गृह क्षेत्र है। चीखली मुख्य सडक़ पर होने से व्यापारी दृष्टि से आसपास के गांवों का केंद्र जरूरी बना, लेकिन शेष सुविधाओं से आज भी लोग वंचित हैं। आसपास स्वास्थ्य सेवाओं का भौतिक विस्तार हुआ, लेकिन चिकित्सकों की कमी से लाभ नहीं मिल पा रहा।मतदान केन्द्र : १५५कांग्रेस को मिले वोट ६७४मुद्दे : विद्यालय, अस्पताल, पेयजल —————————————————————————————वे बूथ, जहां भाजपा को मिले अधिक वोटविधानसभा क्षेत्र : आसपुर स्थिति : भाजपा प्रत्याशी गोपीचंद मीणा का गृह गांव होने से एकतरफा समर्थन मिला। गांव में आधारभूत सुविधाओं में पहले की तुलना में कुछ फर्क जरूर आया है, लेकिन फिर भी कोई आमूलचुल परिवर्तन नहीं दिखा। रोजगार, बिजली, पानी की समस्याएं आज भी न्यूनाधिक कायम हैं। मतदान केन्द्र : २१६भाजपा को मिले वोट ८८५मुद्दे : बिजली, पानी, सडक़, रोजगार——————————————-विधानसभा क्षेत्र : चौरासीस्थिति : बांकड़ा भाजपा प्रत्याशी सुशील कटारा तथा उनके पिता पूर्व मंत्री जीवराज कटारा का कर्म क्षेत्र रहा है। परंपरागत वोट अधिक हैं। गांव की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। लोग बिजली, पानी, सडक़ जैसी सुविधाओं के लिए दो-दो हाथ कर रहे। कटारा के मंत्री बनने पर जरूर क्षेत्र को कुछ लाभ हुआ है।मतदान केन्द्र : १३२ भाजपा को मिले वोट७२६मुद्दे : पेयजल, गंदगी, रोजगार —————————————विधानसभा क्षेत्र : चौरासीस्थिति : गैंजी क्षेत्र से भी भाजपा को अच्छा खासा समर्थन मिला। मंत्री बनने के बाद क्षेत्र को सौगातें भी मिली, लेकिन गैंजी से सटा बोर का भाटड़ा बांध का काम डेढ़ दशक से अधूरा ही पड़ा है। फिर भी जनजाति अंचल के अन्य क्षेत्रों की तरह अपेक्षित सुविधाओं के लिए आज भी संघर्ष जारी है। मतदान केन्द्र : ५८भाजपा को मिले वोट ६९४मुद्दे : किसानों की समस्या मुद्दे : किसानों की समस्या ————————————————विधानसभा क्षेत्र : सागवाड़ास्थिति : भीलूड़ा क्षेत्र भाजपा प्रत्याशी अनीता कटारा का ससुराल है। अनीता से पूर्व उनके ससुर कनकमल कटारा केबिनेट मंत्री, राज्यसभा सांसद तक रहे हैं। ऐसे में यहां से भाजपा को परंपरागत वोट अधिक मिले। आधारभूत सुविधाओं की स्थिति अन्य क्षेत्रों जैसी ही है। जन अपेक्षाएं परवान पर रही, उनकी पूर्ति औसत हुई। मतदान केन्द्र : १८६ भाजपा को मिले वोट ६८२मुद्दे : सडक़, कृषि, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तारमुद्दे : सडक़, कृषि, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार————————————-घर का ही प्रभाव[typography_font:18pt;” >चूंकि सर्वाधिक बढ़त वाले ज्यादातर बूथ प्रत्याशियों के गृह क्षेत्र हैं, ऐसे में बढ़त के पीछे कोई ठोस मुद्दा नहीं हैं। जीते हुए प्रत्याशियों ने अपने गृह क्षेत्र की छोटी-मोटी जरूरतों का ध्यान रखा ही है, फिर भी अभाव तो कायम ही हैं। प्रत्याशी बदलते हैं तो इन बूथों के समीकरण भी बदल सकते हैं।