गड़बडिय़ों की तीन तस्वीर
प्रमिला के समूह को तीन वर्ष पहले दो लाख का ऋण दिलाया। इनकी किस्त नियमित समूह नियंत्रण करने वाले व्यक्ति को दे रहे थे। बैंक ने इस समूह को डिफाल्टर माना और एक लाख ९० हजार बकाया होना बताया।
नर्वदा के समूह ने एक लाख का ऋण लिया। किस्त नियमित थी। इनके अनुसार ४० हजार की बकाया होना था। पर, बैंक ने ८० हजार बकाया का नोटिस दिया। ऐसे में यह पूरा समूह परेशान हैं।
लक्ष्मी बताती है कि हमें बैंक बुलाया। यहां कई सारे कागजों पर हमसे दस्तखत कराएं। फिर २० हजार तक की राशि देकर बताया कि इतना ही मिला है। अब बैंक से पता चला कि १.८५ लाख बाकी है। हमें तो इतनी राशि मिली ही नहीं।
महिलाएं बोली, बस दस्तखत किए
देवल बटका फला से आई नर्वदा, प्रमिला और लक्ष्मी ने बताया कि वर्ष २०११ में समीपवर्ती गांव का एक व्यक्ति इनसे मिला और आत्मनिर्भर बनाने की बात बताते हुए एक संस्था बनाई और स्वयं सहायता समूहों का गठन किया। यह तीनों महिलाएं समूह अध्यक्ष है और प्रत्येक के समूह में २०-२० महिलाएं है। वर्ष २०११ से समूह की सभी महिलाएं दो सौ-दो सौ रुपए प्रतिमाह जमा करनी और आवश्यकता के अनुसार आपस में ही इसका लेनदेन करती थी। इस पूरे कार्य की निगरानी समूह गठन करने वाला व्यक्ति ही करता था। इसके बाद बैंकों में ले गया और कुछ समूहों को ऋण भी दिलाएं। इनका कहना रहा कि देवल क्षेत्र में कई समूहों की स्थिति इसी तरह की है।
गंभीर मामला
यहां इन महिलाओं के प्रकरण लोक अदालत में आपसी समझाइश से निपटाने थे। पर, महिलाओं ने अपनी परिवेदना जिला विधिक प्राधिकरण की पूर्णकालीन सचिव नीलम शर्मा के समक्ष रखी। इन्होंने इस मसले को गंभीर मामला बताते हुए जांच के लिए पुलिस तक प्रकरण पहुंचाने की बात कही।
पुलिस में दे रहे है रिपोर्ट
रिटेनर अधिवक्ता प्रकाश परमार ने बताया कि बैंक ऋण के नाम पर यह ठगी का बड़ा मामला हो सकता है। महिलाओं की ओर से दिए बयानों के आधार पर पुलिस अधीक्षक को पूरी रिपोर्ट दी जा रही है। जांच होना जरूरी है।