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भानजे की मौत पर मामा से ही मांगने लगे ५० लाख का मौताणा, मकान में तोडफ़ोड़-लूटपाट, पांच गिरफ्तार

locationडूंगरपुरPublished: Nov 24, 2021 06:48:08 pm

Submitted by:

Harmesh Tailor

डूंगरपुर. मामा के घर रह रहे युवक की सडक़ हादसे में मौत होने पर परिजन मामा से ही मौताणा मांगने लगे। इतना ही नहीं मामा के घर पर हमलाकर तोडफ़ोड़ कर लूटपाट तक कर दी। पीडि़त मामा की रिपोर्ट पर चौरासी थाना पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

भानजे की मौत पर मामा से ही मांगने लगे ५० लाख का मौताणा, मकान में तोडफ़ोड़-लूटपाट, पांच गिरफ्तार

भानजे की मौत पर मामा से ही मांगने लगे ५० लाख का मौताणा, मकान में तोडफ़ोड़-लूटपाट, पांच गिरफ्तार


डूंगरपुर. मामा के घर रह रहे युवक की सडक़ हादसे में मौत होने पर परिजन मामा से ही मौताणा मांगने लगे। इतना ही नहीं मामा के घर पर हमलाकर तोडफ़ोड़ कर लूटपाट तक कर दी। पीडि़त मामा की रिपोर्ट पर चौरासी थाना पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
यह था मामला
थानाधिकारी भेमजी गरासिया ने बताया कि बेड़सा कोढला फला निवासी गटू पुत्र उदा ननोमा ने थाने में रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि प्रार्थी का भानजा शान्ति पुत्र हीरा प्रार्थी के घर पर ही रहता था। करीब तीन माह पहले मोटरसाइकिल हादसे में उसकी मौत हो गई थी। इस पर मृतक के कटूम्बजन मामा से मौताणे के 50 लाख रुपए मांगने लगे। मौताणा नहीं देने पर दो अक्टूबर की रात को मृतक के भाई बेड़सा निवासी सोहन पिता हीरा व बंशी के साथ महेश पुत्र पुत्र पना, राहुल पुत्र महेश, नन्दलाल पुत्र महेश व खेमराज पुत्र काना खांट हाथों में लठ्ठ व हथियार लेकर आए। गटू व कालू पुत्र शंकर ननोमा के घर में घुसकर तोडफ़ोड़ की तथा सोने चांदी के जेवरात लूट कर भाग गए। पुलिस ने गटू की रिपोर्ट पर प्रकरण दर्ज कर छानबीन शुरू की।
इनको किया गिरफ्तार
पुलिस ने बुधवार को खेमराज, सोमा, राहुल, बंशीलाल व महेश को गिरफ्तार किया। वहीं अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। कार्रवाई में एएसआई बालकृष्ण, कांस्टेबल गिरीश कुमार, दिनेश कुमार व जगदीश शामिल थे।
क्या है मौताणा
आदिवासी अंचल में मौताणा प्रथा प्रचलित है। इसमें हादसे या किसी अन्य आकस्मिक घटना में किसी मृत्यु होने पर संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति या परिवार से आर्थिक सहायता की मांग की जाती है। पीडि़त पक्ष को त्वरित राहत देने के उद्देश्य से प्रचलित यह प्रथा अब विकृत हो चुकी है। मौताणे की मांग को लेकर तोडफ़ोड़ व आगजनी तक की घटनाएं होने लगी हैं। हालांकि इस पर काफी हद तक अंकुश लगा है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह घटनाएं फिर बढऩे लगी हैं।
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