पर्युषण महापर्व के उपसंहार में रामकथा
आचार्य अनुभव सागर महाराज ने शनिवार सुबह पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम किसी एक सम्प्रदाय या धर्म से जुड़े हुए नहीं है। वह मानव मात्र की श्रद्धा के मुख्य पात्र बिन्दू है। जब-जब भी हमे ऐसेे व्यक्तित्व की तलाश करनी होती है, जिसे हम आदर्श के रुप में सामने रख सके, तो आदर्श पुत्र, आदर्श प्रजापालक, न्यायप्रिय, आदर्श भ्राता तो श्रीराम का व्यक्तित्व ही उभर कर सामने आता है। राम ऐसे चरित्रवान पुरुष हुए हैं, जिनको केन्द्र बिन्दू में रखकर हम मानव मात्र के सर्वांगीण कल्याण की कल्पना कर सकते हैं। संत होने के नाते हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि जीव मात्र के आत्म उत्थान के लिए न केवल चिंतन किया जाए अपितु, सार्थक प्रयास भी किए जाए। इसी विषय को ध्यान में रख पर्युषण महापर्व के उपसंहार के रूप में श्रीराम कथा का आयोजन रखा गया है। इसमें सर्वसमाजजन को अपनी सहभागिता रुपी आहुति समर्पित करने का आह्वान किया है। पांच दिनों की कथा में श्रीराम से जुड़े जीवन प्रसंगों को कलियुग के परिप्रेŸय में उनकी सार्थक प्रासंगिकता को स्पष्ट किया जाएगा।
पांच दिन में श्रीराम कथा का पंचामृत
24 सितम्बर : प्रथम दिन श्रीराम : अंहिसा एवं शाकाहार से उन्नत जीवन विषय को लिया जाएगा कि कैसे जीवन में अंहिसा एवं शाकाहार के मार्ग पर चल कर हम आत्म उत्थान कर सकते हैं।
25 सितम्बर : प्रकृति पूजक श्रीराम विषय पर प्रवचन होगा, जिसमें बताया जाएगा कि कैसे श्रीराम जंगलों में रहे और उन्होंने प्रकृति संरक्षण एवं संवर्धन का संदेश दिया।
26 सितम्बर : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम विषय लिया जाएगा। इस दिन कक्षा छह से 12वीं में अध्ययनरत सभी विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा। विद्यार्थियों में प्राचीन भारतीय संस्कारों का बीजारोपण किया जाएगा। इसके पीछे मूल कारण है कि हमारे बच्चे अपना आदर्श अभिनेताओं को मान रहे हैं, जिससे चारित्रय हनन हो रहा है।
27 सितम्बर : नारी न बनें आरी विषय पर कथा होगी। भारतीय संस्कृति में हम सीता-राम, राधा-कृष्ण कहते हैं। अर्थात नारी की महत्ता काफी अधिक है। पर, कलियुग में स्त्री पहनावे, फैशन को अपना सम्मान मानती है। जबकि, चारित्र उत्थान ही असल सम्मान है।
28 सितम्बर : कथा की पूर्णाहुति के दिन जैन-अजैन समस्त साधु-संत शामिल होंगे। इसमें श्वेताम्बर जैनाचार्यों, साध्वी संघ सहित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय सहित महंत अच्युतानंद महाराज को आमंत्रित किया है।