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पीडि़ता ने नहीं की शिनाख्त, फिर भी बना दिया मुल्जिम!

locationडूंगरपुरPublished: Jul 18, 2020 07:07:59 pm

Submitted by:

Harmesh Tailor

डूंगरपुर. विवाहिता से दुष्कर्म के मामले में जांच के दौरान पीडि़ता की ओर से सहआरोपियों की शिनाख्त नहीं किए जाने के बाद पुलिस ने उन्हें आरोपी मानते हुए न्यायालय में चार्जशीट दायर कर दी। न्यायालय ने इसे अनुसंधान में घोर लापरवाही मानते हुए निर्णय की प्रति पुलिस महानिदेशक को भेजते हुए जांच अधिकारी तथा चार्जशीट की अनुमति देने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। साथ ही न्यायालय ने मामले में तीनों आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त भी घोषित किया।

पीडि़ता ने नहीं की शिनाख्त, फिर भी बना दिया मुल्जिम!

पीडि़ता ने नहीं की शिनाख्त, फिर भी बना दिया मुल्जिम!

पीडि़ता ने नहीं की शिनाख्त, फिर भी बना दिया मुल्जिम!
– न्यायालय ने जांच अधिकारी और आरोप पत्र की अनुमति देने वाले अधिकारी के खिलाफ दिए जांच के आदेश
– पुलिस महानिदेशक को भेजी निर्णय की प्रति, एक माह में मांगी रिपोर्ट
डूंगरपुर. विवाहिता से दुष्कर्म के मामले में जांच के दौरान पीडि़ता की ओर से सहआरोपियों की शिनाख्त नहीं किए जाने के बाद पुलिस ने उन्हें आरोपी मानते हुए न्यायालय में चार्जशीट दायर कर दी। न्यायालय ने इसे अनुसंधान में घोर लापरवाही मानते हुए निर्णय की प्रति पुलिस महानिदेशक को भेजते हुए जांच अधिकारी तथा चार्जशीट की अनुमति देने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। साथ ही न्यायालय ने मामले में तीनों आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त भी घोषित किया।
यह है मामला
पीडि़ता ने पति ने तीन मार्च २०१८ को बिछीवाड़ा थाने में रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि प्रार्थी की पत्नी अपने भाई के बच्चे की ढूंढ होने से धामोद गई। वहां से शाम चार बजे घर आने के लिए रवाना हुई। मोबाइल पर संपर्क करने पर पहले बिछीवाड़ा आना, फिर पावर हाउस के पास होना तथा बाद में छापी होना बताया। इसके बाद मोबाइल बंद कर दिया। घर पर नहीं पहुंची तथा तलाश करने पर कहीं पता नहीं चला। इस पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। बाद में 9 मार्च को पीडि़ता ने पुलिस अधीक्षक को लिखित रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि प्रार्थिया अपने पीहर से ससुराल आ रही थी। रास्ते में जीप आई। उसमें एक चालक तथा दो लोग पीछे बैठे थे। चालक कांतिलाल ने प्रार्थिया को घर छोडऩे की बात कहते हुए जीप में बिठा लिया। वहां से उसे बिछीवाड़ा दर्रे के पास बन रही स्कूल ले गए। जीप में सवार दो जनों ने उससे दुष्कर्म किया। चालक कांतिलाल जीप में रखवाली कर रहा था। जान से मारने की धमकी दी। वहां से उसे हाइवे की एक होटल पर ले गए। वहां कांतिलाल ने एक बुजुर्ग से कमरे की चाबी ली और कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। उस दौरान दो लोग बाहर रखवाली करते रहे। रिपोर्ट में आरोप लगाया कि चालक कांतिलाल सहित दो अन्य लोग दो दिन तक उसे अलग-अलग जगहों पर ले जाकर दुष्कर्म करते रहे। इस पर पुलिस ने धामोद निवासी कांतिलाल पुत्र थावरा, लालशंकर पुत्र कांतिलाल तथा राकेश पुत्र लिम्बा के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। अनुसंधान के बाद तीनों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया।
अनुसंधान में लापरवाही
न्यायालय में सुनवाई के दौरान सामने आया कि पीडि़ता ने आरोपी लालशंकर और राकेश के बारे में कोई सकुनत नहीं बताई थी। अनुसंधान अधिकारी तत्कालीन बिछीवाड़ा थानाधिकारी सुनील शर्मा यह नहीं बता पाए कि पीडि़ता की ओर से कोई सकुनत नहीं बताने के बावजूद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कैसे किया। अनुसंधान अधिकारी शर्मा ने दोनों आरोपियों की ओर से घटनास्थलों की तस्दीक करना बताया, जबकि इससे चार माह पूर्व पीडि़ता ही घटनास्थल की तस्दीक कर चुकी थी तथा पुलिस को इसकी जानकारी थी। इसके अलावा पीडि़ता ने पहचान परेड में लालशंकर और राकेश की शिनाख्त करने से इनकार कर दिया था। उसका कहना था कि आरेापियों के नाम लालशंकर और राकेश बोले जा रहे थे, लेकिन पुलिस की ओर से गिरफ्तार शख्स वो नहीं हैं। इसके बावजूद अनुसंधान अधिकारी ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर दी। इतना ही नहीं उच्चाधिकारी ने भी बिना जांच पड़ताल और साक्ष्य के चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति भी दे दी।
इसके अलावा मेडिकल कराते समय पीडि़ता गर्भवती थी तथा उसने अपने बयानों में कहा था कि वह अपने पति से गर्भवती है बलात्कार की वजह से नहीं। उक्त बयान लेने वाली महिला कांस्टेबल के हस्ताक्षर तक नहीं थे। वहीं पुलिस ने पीडि़ता का डीएनए टेस्ट भी नहीं कराया।
हाइवे की जिस होटल में दुष्कर्म होना बताया जा रहा है, उस होटल में कमरे की चाबी लेने वाले बुजुर्ग से भी पुलिस ने अनुसंधान नहीं किया।
पीडि़ता को होली के मेले से कांतिलाल द्वारा ले जाते हुए दो महिलाओं द्वारा देखने की बात भी सामने आई, लेकिन पुलिस ने उनसे भी अनुसंधान नहीं किया।
आरोपी दोषमुक्त, जांच अधिकारी के खिलाफ जांच
न्यायालय ने माना कि पीडि़ता स्वेच्छा से कांतिलाल के साथ गई थी तथा शारीरिक संबंध में भी पीडि़ता की सहमति थी। पीडि़ता ने लालशंकर और राकेश के बारे में न्यायालय में कहा था कि उन्होंने बलात्कार नहीं किया। पोक्सो कोर्ट के पीठासीन अधिकारी महेंद्र कुमार सिंहल ने साक्ष्य के अभाव में तीनों आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया। साथ ही निर्णय की प्रति पुलिस महानिदेशक जयपुर को भेजकर जांच अधिकारी सुनील शर्मा तथा चार्जशीट की अनुमति देने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच कर एक माह में रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए।
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