बारिश होते ही बढ़ जाती हैंं इनकी धडक़नें...
एक अरब रुपए बांटने वाला विभाग खुद कंगाल

-बदहाली: माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय के हाल
- रखरखाव के नाम पर नहीं मिल रहा बजट
डूंगरपुर. साढ़े तीन सौ स्कूलों का जिम्मा जिस माध्यमिक शिक्षा विभाग के कांधों पर है, उस कार्यालय के कार्मिक जान हथेली पर रखकर काम करने को मजबूर हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय से स्कूलों के रखरखाव एवं नए भवन बनाने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए दिए जा रहे हैं। पर, खुद विभाग के पास उसके ही भवन की मरम्मत के लिए चवन्नी तक नहीं है।
यह हैं मौजूदा हालात
कार्यालय की सभी दीवारें जर्जर हो गई हैं तथा बारिश के मौसम में उनसे भी पानी फूट रहा है। छतों के हाल बेहाल हैं। छतेें बारिश शुरू होते ही टपकने लग जाती हैं। आए दिन कार्यालय के किसी न किसी कक्ष की छत का प्लास्तर गिर रहा है। गत दिनों निजी सहायक कक्ष, तो डीईओ कक्ष का प्लास्तर गिर गया। इसमें कार्मिक बाल-बाल बचे। भवन में पानी टपकने से रिकार्ड एवं कम्प्यूटरों को संभालने में भी खासी परेशानी हो रही है।
सात साल में स्कूलों को दिया बजट
माध्यमिक शिक्षा विभाग खुद के भवन पर भले ही एक रुपया खर्च नहीं कर सका है। इस विभाग के माध्यम से ही वर्ष 2010-11 से अब तक मोटा-मोटा एक अरब रुपए स्कूलों के खातों में विभिन्न योजनाओं में निर्माण मद में जमा हुआ है। जिले के कई स्कूलों का हाल माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय से बेहतर है, लेकिन यहां बजट के अभाव में बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है। वर्षवार स्थिति निम्मानुसार है...
वर्ष बजट
2010-11 812.59
2011-12 1547.66
2013-14 257.76
201४-१५ -
2015-16 933.67
201६-17 2493.84
२०१७-१८ 2386.98
जर्जर भवनों का पुर्ननिर्माण: 451.55
(राशि लाखों में)
भवन पुराना है। ऐसे में अब काफी अधिक मरम्मत मांग रहा है। निदेशालय को भवन मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजे हैं। पर, बजट प्राप्त नहीं हुआ है। भवन को खाली पड़े किसी सरकारी भवन में शिफ्ट कर दिया जाए, तो खतरे से बचा जा सकता है।
-प्रकाश शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षाधिकारी, माध्यमिक
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