यह है मामला
सरकारी सेवाओं में तेजी से घटते रोजगार के अवसरों को देखते हुए पांच वर्ष पूर्व प्रदेश सहित देश भर के राजकीय माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालयों में व्यवसायिक शिक्षा शुरू की थी। इसमें कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों को अतिरिक्त विषय दिलाते हुए विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित प्रशिक्षकों को तैनात किया। प्रदेश के कुल 905 स्कूलों में अलग-अलग प्रति स्कूल दो के हिसाब से 1810 टे्रड शुरू की गई। इसमें सिलाई-गृहसज्जा एवं कृषि यह दो ट्रेड भी शामिल थी। पूर्व में सिलाई टे्रड में पूर्व में योग्यता दसवीं उत्तीर्ण मय एक वर्ष का डिप्लोमा था। लेकिन, अब स्नातकोत्तर सिलाई कर दिया है। इसी तरह सुक्ष्म सिंचाई तकनीकी कृषि विज्ञान टे्रड में बीएससी एग्रीकल्चर/ स्नातक कृषि विज्ञान थी। पर, अब एमएससी होर्टी कल्चर स्नातकोत्तर उद्यान विज्ञान कर दी है। ऐसे में इन दोनों टे्रडों में कार्य कर रहे युवा दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।
मानदेय भी नहीं मिला
विद्यालयों में ट्रेड संचालन के लिए हर वर्ष ५० हजार का बजट दिया जाता था। पर, गत वित्तीय वर्ष का बजट अब तक नहीं मिला है। ऐसे में हर स्कूल में दो टे्रड के माध्यम से एक-एक लाख रुपए की उधारी है। साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षकों का एक-एक वर्ष का मानदेय भी शेष है।
सरकार ने बार-बार बदले आदेश
प्रदेश सरकार का व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रुख स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। पूर्व में सेवा प्रदात्ता कम्पनियों के साथ अनुबंध खत्म होने पर एक जुलाई 2019 से व्यवसायिक प्रशिक्षकों को बेरोजगार कर दिया था। करीब एक माह पूर्व ही वापस आदेश जारी कर बजट जारी किया। इससे पूर्व भी व्यावसायिक प्रशिक्षकों की सेवाएं 28 फरवरी 2019 को समाप्त कर दी थी। उस समय लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार ने आदेश वापस प्रत्याहारित कर लिए थे।
अध्यापन हो रहा है प्रभावित
इन दो ट्रेड में प्रशिक्षक नहीं लगने से इन ट्रेडों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के भविष्य पर अंधेरा मण्डरा रहा है। पूरा सत्र गुजरने के बावजूद उनका अध्यापन नहीं हो पाया है। वहीं, जल्द ही दीपावली अवकाश होगा। तीन माह बाद बोर्ड परीक्षाएं भी है।
अधिकारी ने कहा…
दो ट्रेड में योग्यता बदलने से कार्मिक नहीं मिले हैं। जिले में 90 स्कूलों में हर स्कूल में दो टे्रड के हिसाब से 180 प्रशिक्षक लगाए थे। पर, फिलहाल 35 युवा अकेले डूंगरपुर में योग्यता शर्तों में बदलाव से बाहर हो गए हैं। इस संबंध में समस्त नियंत्रण जयपुर से सीधे होता है। अत: कुछ कह नहीं सकते हैं।
– गोवर्धनलाल यादव, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा अभियान