डूंगरपुर

पुण्य और परोपकार को डाउनलोड कर भक्ति से रिचार्ज करो

आचार्य सुनील सागर का मनाया अवतरण दिवस

डूंगरपुरOct 08, 2019 / 12:55 pm

milan Kumar sharma

पुण्य और परोपकार को डाउनलोड कर भक्ति से रिचार्ज करो,पुण्य और परोपकार को डाउनलोड कर भक्ति से रिचार्ज करो

सागवाड़ा. आचार्य सुनीलसागर महाराज ने कहा कि पुण्य और परोपकार को डाउनलोड कर आत्मा को धर्म, ध्यान, प्रभु भक्ति और चारित्रिक ज्ञान से रिचार्ज करते रहना चाहिए। सन्मति समवशरण सभागार में सोमवार को आचार्य ने कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साधना और श्रम की जरूरत होती है, जिस तरह बिना तपे सूरज का सम्मान नहीं होता और अग्नि में तप कर ही सोने में निखार आता है इसी तरह जीवन को भी साधना और संघर्ष से तपाना आवश्यक है। आचार्य ने कहा कि जिस तरह मशीनरी वस्तु में मामूली कमी हो जाने पर वह बेकार हो जाती है उसी तरह आत्मा के बिना देह नश्वर स्वरूप को प्राप्त कर अनुपयोगी हो जाती है।


भगवान महावीर के सिद्धांत प्रासंगिक
आचार्य ने कार्य सिद्धि के लिए निरंतर प्रयास को जरुरी बताया और कहा किजल्दबाजी और क्षमता से अधिक कार्य करने से लाभ कम नुकसान ज्यादा होता है। उन्होंने जीवन में श्रेष्ठता एवं सौम्यता के लिए धैर्यता के साथ ज्ञान प्राप्ति को जरुरी बताया। धर्मसभा के दौरान आचार्य का ४३वां अवतरण दिवस मनाया। आदिसागर अंतरराष्ट्रीय जागृति मंच के अध्यक्ष अजीत कासलीवाल, महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेरणा शाह, मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष नरेंद्र शाह, सुनील सागर युवा मंच अध्यक्ष नमन पंचोरी, मीडिया समन्वयक प्रदीप जोशी, नगर परिषद् प्रतापगढ़ के सभापति कमलेश दोशी, डा. विपिन शाह ने अंकलीकर वाणी पत्रिका का विमोचन किया। सभापति दोशी एवं डा. महेन्द्र मनुज इंदौर ने विनयांजलि प्रस्तुत की। मुंबई से प्रकाशित जैनाचार पत्रिका का विमोचन कर प्रति संपादक ममता अनिल गांधी ने आचार्य को भेंट की। ट्रस्टी नरेन्द्र खोडनिया ने बताया कि सोमवार को सुबह मोटर साइकिल रैली, आचार्य का प्रवचन तथा दोपहर में सभागार में ‘संदीप से सुनील सागर नाटक का मंचन हुआ।
महिलाओं ने मंगल गीतों के साथ गरबा नृत्य किया। राजकीय चिकित्सालय एवं अन्य स्थल पर मरीजों में फल व आहार वितरण के साथ जरुरतमंदों की सहायता की। स्वर्ण पात्र से आचार्य का पाद प्रक्षालन सूरत के सुरेन्द्र शाह ने किया। शाम 43 दीपक से मंगल आरती हुई। अवतरण दिवस के तहत सभी जैनालयों में पूजा अर्चना, विधान तथा भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक किया।

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