वाहनों की रफ्तार पर इतना खपता है ईंधन
डंूंगरपुर जिले में विभिन्न पेट्रोलियम कम्पनी के शहर सहित जिले भर में 60 पेट्रोल पंप हैं। इन पेट्रोल और डीजल पंपों पर आम दिनों में औसत 20 हजार लीटर पेट्रोल तथा 40 हजार लीटर डीजल की औसत प्रतिदिन खपत होती है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के चलते प्रदेश सहित देश भर में लॉकडाउन लगाने के बाद स्थितियां बिल्कूल विपरित हो गई है। अब यह खपत काफी कम रह गई है। स्थितियां यह है कि पूरे जिले में 10 से 15 हजार लीटर पेट्रोल और 15 से 20 हजार लीटर डीजल की भी बमुश्किल खपत हो रही है।
रुपए में समझिए गणित
आमदिनों में डूंगरपुर में प्रतिदिन औसत 20 हजार लीटर पेट्रोल की खपत होती है, तो फिलहाल पेट्रोल के दाम 76.96 रुपए प्रति लीटर है। इस हिसाब से प्रतिदिन 92 लाख 35 हजार से अधिक रुपए का पेट्रोल खप जाता है। वहीं, डीजल की बात करे तो इसकी खपत औसत 40 हजार लीटर प्रतिदिन की है। डीजल फिलहाल 70.57 रुपए प्रतिलीटर मिल रहा है। इस हिसाब से इसके दाम एक करोड़ 69 लाख 36 हजार 800 रुपए पार पहुंचते हैं। दोनों को मिलाकर यह राशि दो करोड़ 61 लाख 72 हजार रुपए पार जाती है। जबकि, इन दिनों पेट्रोल-डीजल की खपत से इसकी तुलना करें, तो इन दिनों बमुश्किल 25 लाख रुपए का कारोबार हो रहा है।
दूसरा पहलू: पर्यावरण का संबल
– पत्रिका व्यू
वाहनों की रफ्तार थमने से पर्यावरण को सम्बल जरूर मिला है। वाहनों से निकलने वाले धुएं एवं हानिकारक तत्वों से पेड़-पौधों का विकास तो अवरुद्ध होता ही है। यह मानव जीवन पर भी खासा प्रभाव डालते हैं। वाहनों से निकलने वाला हानिकारक धुआं न सिर्फ वायुमंडल में फैलता है। बल्कि सांसों के साथ घुलकर शरीर भी खोखला करता है। अध्ययन बताते है कि डीजल वाहन बड़े पैमाने पर जानलेवा कण और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जो दमा, ब्रोंकाइटिस, दिल के दौरे और बच्चों में विकास संबंधी विकार उत्पन्न करते हैं। वहीं, डीजल में मौजूद सल्फर नामक धातु सल्फर डाइऑक्साइड का निर्माण करता है, जो नाक, गले और सांस की नली में अवरोध उत्पन्न करता है। इससे खांसी, छींक और सांस की समस्या होती है। पेट्रोल वाले वाहन डीजल के मुकाबले ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ते हैं।