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पिता की मौत की खबर सुन भागते हुए घर आ रहे बेटे की गिरने से मौत

locationडूंगरपुरPublished: Feb 17, 2020 11:27:15 am

Submitted by:

Harmesh Tailor

डूंगरपुर. जिला मुख्यालय से सटे उपरगांव में रविवार को हृदयविदारक घटना ने पूरे गांव को रूला दिया। बीमारी से पिता की मौत होने पर खबर सुनकर खेतों से भागते हुए घर आ रहे बेटे की भी गिरने से मौत हो गई। परिवार की माली हालत बहुत कमजोर है। ऐेसे में पूरे गांव ने पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार किया। वहीं उत्तर क्रियाएं भी गांववासियों की ओर से की जाएंगी।

पिता की मौत की खबर सुन भागते हुए घर आ रहे बेटे की गिरने से मौत

पिता की मौत की खबर सुन भागते हुए घर आ रहे बेटे की गिरने से मौत

पिता की मौत की खबर सुन भागते हुए घर आ रहे बेटे की गिरने से मौत
– परिवार में मचा हाहाकार
– एक ही चिता पर हुआ पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार
डूंगरपुर.
जिला मुख्यालय से सटे उपरगांव में रविवार को हृदयविदारक घटना ने पूरे गांव को रूला दिया। बीमारी से पिता की मौत होने पर खबर सुनकर खेतों से भागते हुए घर आ रहे बेटे की भी गिरने से मौत हो गई। परिवार की माली हालत बहुत कमजोर है। ऐेसे में पूरे गांव ने पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार किया। वहीं उत्तर क्रियाएं भी गांववासियों की ओर से की जाएंगी।
यह हुआ घटनाक्रम
उपरगांव निवासी रतनजी पुत्र नगजी पटेल कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। रविवार सुबह उनकी मृत्यु हो गई। उस वक्त इकलौता बेटा देवीलाल खेत पर फसल को पानी दे रहा था। सूचना मिलते ही देवीलाल घर की ओर भागा। खेत की पाली से फिसल कर नीचे गिर पड़ा। इससे सिर पर गंभीर चोट आई। आसपास के खेतों में काम कर रहे लोगों ने उसे तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
कुटुम्ब में मचा हाहाकार
घर पर पिता रतनजी की लाश पड़ी थी। वहीं कुछ ही देर में अस्पताल से बेटे देवीलाल का भी शव आ गया। इससे परिवार में हाहाकार सा मच गया। जिस-जिस ने भी यह खबर सुनी उसकी आंखे भर आई। लोगों ने परिवारजन को ढांढस बंधाया।
ग्रामीणों ने दिखाई संवेदनशीलता
देवीलाल की माली हालत बहुत खराब है। सुबह खेतों में काम करने के बाद वह नेजपुर में वेल्डिंग कार्य में मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करता था। अब घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा। परिवार की स्थिति देखते हुए पूरे गांववालों ने संवेदनशीलता दिखाई। सभी ने एकमत ने पिता-पुत्र की अंतिम और उत्तर क्रियाएं गांव स्तर पर किए जाने का निर्णय लिया। शाम को एक ही चिता पर पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार किया गया।
अब कैसे चलेगी जीवन की गाड़ी
देवीलाल अपने पिता की इकलौती संतान था। मेहनत मजदूरी कर बुढे मां-बाप, पत्नी व बेटे का भरण पोषण करता था। अब परिवार में सिर्फ विधवा सास-बहू और 12 साल का बेटा शेष हैं।
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