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‘दुर्गा’ दिखा रही आत्मनिर्भर भारत की राह

locationडूंगरपुरPublished: May 28, 2020 06:38:10 pm

Submitted by:

Harmesh Tailor

डूंगरपुर.आदिवासी अंचल डूंगरपुर में महिलाओं के माध्यम से चल रहा देश का पहला डूंगरपुर रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी प्रा.लि. (दुर्गा) प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान की राह प्रशस्त कर रहा है। प्रोजेक्ट से जुड़ी आदिवासी महिलाएं किसी कुशल इंजीनियर से कम नहीं हैं। आईआईटी मुंंबई के तकनीकी सहयोग से चल रहे इस प्रोजेक्ट में महिलाएं न केवल सौर ऊर्जा से चलने वाले उत्पाद तैयार कर रही हैं, अपितु उसकी मार्केटिंग भी करती हैं।

'दुर्गा' दिखा रही आत्मनिर्भर भारत की राह

‘दुर्गा’ दिखा रही आत्मनिर्भर भारत की राह

‘दुर्गा’ दिखा रही आत्मनिर्भर भारत की राह
– देश का पहला महिलाओं की ओर से संचालित सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट
– सालाना डेढ़ से दो करोड़ का टर्नओवर
– 50 आदिवासी महिलाएं कर रही कुशल इंजीनियर की तरह काम
डूंगरपुर.
आदिवासी अंचल डूंगरपुर में महिलाओं के माध्यम से चल रहा देश का पहला डूंगरपुर रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी प्रा.लि. (दुर्गा) प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान की राह प्रशस्त कर रहा है। प्रोजेक्ट से जुड़ी आदिवासी महिलाएं किसी कुशल इंजीनियर से कम नहीं हैं। आईआईटी मुंंबई के तकनीकी सहयोग से चल रहे इस प्रोजेक्ट में महिलाएं न केवल सौर ऊर्जा से चलने वाले उत्पाद तैयार कर रही हैं, अपितु उसकी मार्केटिंग भी करती हैं।
यूं पड़ी नींव
वर्ष २०१३-१४ में तत्कालीन जिला कलक्टर इंद्रजीतसिंह ने पुनाली, बिलड़ी और झोंथरी कलस्टर से जुड़ी महिला स्वयंसहायता समूह की महिलाओं को सोलर लेम्प असेम्बलिंग के काम से जोड़ा। आईआईटी मुंबई के प्रो. चेतनसिंह सोलंकी की पहल पर इन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया। धीरे-धीरे यह काम आगे बढ़ता रहा। बाद में आईआईटी की मदद से सोलर पैनल ही डूंगरपुर में तैयार करने की पहल हुई। वर्ष २०१७ में विधिवत् रूप से महिलाओं की, महिलाओं के द्वारा संचालित इकाई स्थापित की गई और उसे दुर्गा अर्थात् डूंगरपुर रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी प्रा.लि नाम दिया गया। मांडवा खापरड़ा की रूक्मणी कटारा को इसका मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया। जिला कलक्टर इस प्रोजेक्ट के निदेशक हैं। प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मानित भी कर चुके हैं।
सालाना डेढ़ करोड़ का टर्नओवर
शहर के न्यू कॉलोनी में खाली पड़े विद्यालय भवन में इसकी स्थापना की गई। जिला प्रशासन ने विभिन्न माध्यमों से बजट उपलब्ध कराकर जरूरी मशीनें आदि लगवाई। प्रोजेक्ट के ऑपरेशंस मैनेजर जुगलकिशोर नुवाल बताते हैं कि शुरूआती दौर में सिर्फ टेबल लेम्प बनाए जा रहे थे, लेकिन अब घरेलू लाईट सिस्टम, स्ट्रीट लाइट सहित अन्य सामग्री बनाई जा रही है। प्रोजेक्ट ने पहले वर्ष 40 लाख का व्यवसाय किया, वहीं गत वित्तीय वर्ष का टर्नओवर करीब डेढ़ करोड़ रहा। वर्तमान में भी दुर्गा के पास देश की बड़ी-बड़ी सोलर प्रोडक्ट कंपनियों से भी ज्यादा ऑर्डर हैं। लॉकडाउन ४.० में यूनिट काम कर रही है। प्रोजेक्ट से शुरूआती दौर में 50 महिलाएं जुड़ी हुई थी। इसके बाद कुछ का राजकीय सेवाओं में चयन होने से वर्तमान में 43 महिलाएं हैं। इसके अलावा 10 महिलाओं को अतिरिक्त प्रशिक्षण दे रखा है तथा काम ज्यादा होने पर उन्हें रोजगार पर बुलाया जाता है। प्रोजेक्ट से जुड़ी महिलाओं की काबिलियत के हिसाब से सेलरी स्लॉट हैं। इसमें महिलाएं 9000 रुपए से 16000 रुपए मासिक आय प्राप्त कर रही हैं।
लोकल फोर वोकल पर फोकस
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की है। प्रोजेक्ट पहले से ही इसी राह पर है। इसका फोकस लोकल फोर वोकल पर है। लोकल मार्केटिंग पर जोर दिया जा रहा है, ताकि स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिल सके और पूंजी स्थानीय बाजार में ही रहे।
पहले मजदूरी अब इंजीनियरिंग
प्रोजेक्ट से जुड़ी ज्यादातर महिलाएं पहले मजदूरी करती थी। सोलर लेम्प के पूर्जे जोडऩे से शुरूआत हुई। जिला प्रशासन का पूरा सहयोग मिलता आ रहा है। आज वहीं महिलाएं कुशल इंजीनियर की तरह काम कर अच्छी आय अर्जित कर रही हैं। प्रोजेक्ट कई बड़े ऑर्डर पर भी काम कर रहा है। महिलाओं को स्वरोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर भारत बनने में योगदान देना चाहिए।
रूक्मणी कटारा, सीईओ, दुर्गा प्रोजेक्ट, डूंगरपुर
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