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65 साल पहले दो लाख में बना पुल, अब मरम्मत पर ढैला तक खर्च नहीं

locationडूंगरपुरPublished: Jul 07, 2020 04:37:29 pm

Submitted by:

Harmesh Tailor

डूंगरपुर. डूंगरपुर जिला मुख्यालय को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ और उदयपुर जिले की खेरवाड़ा तहसील से जोडऩे वाली मुख्य सड़क पर दो नदी पर 65 साल पहले महज 2 लाख रुपए की लागत से बने पुल को अब मरम्मत के नाम पर ढैला तक नसीब नहीं हो रहा। पुल जर्जर हालत में हैं और कभी भी किसी बड़ी दु:खान्तिका का सबब बन सकता है। जिले के अतिव्यस्ततम डूंगरपुर उदयपुर मुख्य मार्ग पर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित इस पुल की सुरक्षा दीवार तक नहीं है। रेलिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ऐसे में आए दिए हादसों का भय बना रहता ह

65 साल पहले दो लाख में बना पुल, अब मरम्मत पर ढैला तक खर्च नहीं

65 साल पहले दो लाख में बना पुल, अब मरम्मत पर ढैला तक खर्च नहीं

फोटो स्टोरी. . .
65 साल पहले दो लाख में बना पुल, अब मरम्मत पर ढैला तक खर्च नहीं
– बड़ी दुखान्तिका को न्यौता दे रहा दो नदी पुल
– सुरक्षा दीवार तक नहीं, रेलिंग भी क्षतिग्रस्त
– पुल पर उग आए हैं पेड़
डूंगरपुर.
डूंगरपुर जिला मुख्यालय को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ और उदयपुर जिले की खेरवाड़ा तहसील से जोडऩे वाली मुख्य सड़क पर दो नदी पर 65 साल पहले महज 2 लाख रुपए की लागत से बने पुल को अब मरम्मत के नाम पर ढैला तक नसीब नहीं हो रहा। पुल जर्जर हालत में हैं और कभी भी किसी बड़ी दु:खान्तिका का सबब बन सकता है। जिले के अतिव्यस्ततम डूंगरपुर उदयपुर मुख्य मार्ग पर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित इस पुल की सुरक्षा दीवार तक नहीं है। रेलिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ऐसे में आए दिए हादसों का भय बना रहता है। पुल की दीवारों पर बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं। इससे पुल कमजोर हो चुका है। उक्त मार्ग अब स्वरुपगंज-रतलाम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या ९२७ए घोषित हो चुका है। ऐसे में लंबे समय से सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इसकी सुध लेना बंद कर दिया है, वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से भी अब तक इस सड़क या पुल की टोह नहीं ली गई है।
कई बार हुए हादसे
पुल विकट मोड पर स्थित होने से आए दिन हादसे होते हैं। सुरक्षा दीवार के अभाव में असंतुलित होकर वाहन गिरने का डर बना रहता है। पूर्व में कई बार इस तरह के हादसे हुए हैं। वहीं एक ट्रक सेफ्टी वॉल के अभाव में पुल से नीचे लटक सा गया था। दुपहिया वाहनधारियों के दुर्घटनाग्रस्त होने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
पुल की रेलिंग क्षतिग्रस्त होने तथा सुरक्षा दीवार नहीं होने से बड़े हादसे की आशंका बनी हुई है। पुल पर यात्री वाहन, भारी मालवाहक वाहन तथा स्कूल बसें आदि भी बड़ी संख्या में गुजरती हैं, ऐसे में बड़ी दु:खान्तिका की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
मुख्यमंत्री सुखाडिय़ा ने किया था लोकार्पण
पुल की दीवार पर लोकार्पण पट्टिका लगी हुई है। इसके मुताबिक उक्त पुल राज्य सरकार के जन कार्य निर्माण विभाग के माध्यम से दो लाख रुपए लागत में बना था। 15 जुलाई 1955 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा ने इसका लोकार्पण किया था।
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