बजट के टोटे ने 131 बेटियों की स्कूटी योजना की 'पंक्चर'
डूंगरपुर. प्रदेश सरकार की ओर से जनजाति वर्ग की बेटियों को 10वीं एवं 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद दी जाने वाली स्कूटी योजना पर बजट के टोटे ने कैंची चला दी है। योजना के तहत आवेदन मांगे जाने के बाद हुए बदलाव से अकेले डूंगरपुर जिले में ही 131 बेटियों की स्कूटियों के प्रस्ताव अस्वीकृत हो गए हैं। इससे बेटियों और अभिभावकों में मायूसी छा गई है।

बजट के टोटे ने 131 बेटियों की स्कूटी योजना की 'पंक्चर'
आवेदन मांगने के बाद योजना में बदलाव
डूंगरपुर. प्रदेश सरकार की ओर से जनजाति वर्ग की बेटियों को 10वीं एवं 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद दी जाने वाली स्कूटी योजना पर बजट के टोटे ने कैंची चला दी है। योजना के तहत आवेदन मांगे जाने के बाद हुए बदलाव से अकेले डूंगरपुर जिले में ही 131 बेटियों की स्कूटियों के प्रस्ताव अस्वीकृत हो गए हैं। इससे बेटियों और अभिभावकों में मायूसी छा गई है।
यह हुआ बदलाव
प्रदेश सरकार की ओर से जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से जनजाति वर्ग की छात्राओं को कई वर्षों से 65 प्रतिशत अंक के साथ 10वीं एवं 12वीं उत्तीर्ण करने पर स्कूटी दी जाती है। इसके तहत सरकार ने सत्र 2019-20 की 722 पात्र छात्राओं की सूचियां जारी कर छात्राओं से शपथ पत्र सहित अन्य आवेदन संबंधित औपचारिकताएं पूर्ण करवाई। इस पर छात्राओं ने समस्त दस्तावेज संलग्न कर विभाग में जमा करवाए। लेकिन, हाल ही में विभाग ने महज 591 पात्र छात्राओं की सूचियां जारी की है। इससे शेष रही बेटियां अब खुद को ठगा महसूस कर रही है।
कोरोना बना कारण
विभागीय सूत्र बताते है कि सत्र 2019-20 के प्रस्ताव मांगे जाने के दौरान कोरोना का कोई असर नहीं था। लेकिन, प्रस्ताव तैयार होने के बाद कोरोना के चलते सरकार के पास बजट की कमी हो गई।
ऐसे में सरकार ने तय किया कि स्कूटी योजना में लम्बे समय से 65 प्रतिशत अंकों के आधार पर ही दी जा रही है। इतने वर्षों में प्रतिस्पद्र्धा बढ़ी है। छात्राएं उच्चांक प्राप्त करने लगी है। इससे सरकार पर लगातार अधिभार बढ़ता जा रहा है। अत: इस योजना को प्रतिशत के आधार पर नहीं तय कर वरीयता के आधार पर संचालन किया जाए। इस बात को ध्यान में ध्यान में रखकर सरकार ने स्कूटी की संख्या तय करते हुए मेरिट बनाई।
इससे इस बार अंतिम प्रतिशत 66 प्रतिशत पर आकर अटक गया है।
अधिकारी ने कहा...
स्कूटी की संख्या सरकार स्तर पर तय की गई है। इस वजह से कम प्रतिशत लाने वाली बेटियां रह गई है। वरीयता के आधार पर स्कूटी दी जा रही है।
अंजलि राजोरिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं परियोजना अधिकारी, टीएडी
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