‘समाज के नेतृत्व में विश्वास रख खूद की अहमियत को समझें’
डूंगरपुरPublished: Nov 15, 2021 11:07:52 am
डूंगरपुर.वागड़ क्षत्रिय महासभा संस्थान डूंगरपुर के बैनर तले रविवार को क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में विजियाराजे सिंधिया ऑडिटोरियम में क्षात्र पुरुषार्थ तथा सामाजिक सद्भावना अभिनंदन समारोह हुआ।दो चरणों में हुए कार्यक्रम के दौरान सुबह के सत्र में बौद्धिक हुआ। इसमें मुख्य वक्ता क्षत्रिय युवक संघ के रेवतसिंह पाटोदा कहा कि प्रत्येक क्षत्रिय को राम की तरह बनने के लिए विश्वामित्र जैसे गुरु की आवश्यकता है। यही कार्य क्षत्रिय युवक संघ कर रहा है।
‘समाज के नेतृत्व में विश्वास रख खूद की अहमियत को समझें’
डूंगरपुर.वागड़ क्षत्रिय महासभा संस्थान डूंगरपुर के बैनर तले रविवार को क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में विजियाराजे सिंधिया ऑडिटोरियम में क्षात्र पुरुषार्थ तथा सामाजिक सद्भावना अभिनंदन समारोह हुआ।
दो चरणों में हुए कार्यक्रम के दौरान सुबह के सत्र में बौद्धिक हुआ। इसमें मुख्य वक्ता क्षत्रिय युवक संघ के रेवतसिंह पाटोदा कहा कि प्रत्येक क्षत्रिय को राम की तरह बनने के लिए विश्वामित्र जैसे गुरु की आवश्यकता है। यही कार्य क्षत्रिय युवक संघ कर रहा है। उन्होंने क्षात्र फाउंडेशन के साथ-साथ समाज की राजनीतिक पृष्टभूमि के लिए प्रताप फाउंडेशन के बारे में बताया। साथ ही कहा कि समाज के नेतृत्व में विश्वास रखकर अपनी अहमियत को समझना होगा। उन्होंने समाज की संवैधानिक मूल्यों के अनुरुप व्यवस्था में सामंजस्य बैठाने के लिए आह्वान किया।
‘सर्व समाज को साथ लेकर चलना ही क्षात्र धर्म’
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अभिनंदन समारोह हुआ। इसमें वागड़ क्षत्रिय महासभा नगर कार्यकारिणी की ओर से सर्व समाज अध्यक्षों, शिक्षण संस्थाओं के निदेशकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मीडिया कर्मियों आदि का अभिनंदन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि क्षत्रिय का पहला कर्म समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना है। पौराणिक काल से क्षत्रिय समाज के रक्षक के तौर पर अपने इसी कर्म का निर्वहन करता आया है। कार्यक्रम में समाज के संरक्षक दौलतसिंह राठौड़, महासभा जिलाध्यक्ष प्रहलादसिंह चिबूड़ा, महामंत्री भोपालसिंह खुमानपुर, कोषाध्यक्ष नेपालसिंह पूंजपुर, नगर अध्यक्ष रायसिंह साबली, महामंत्री महेंद्रपालसिंह चूण्डावत, नगरपरिषद सभापति अमृत कलासुआ, पूर्व सभापति के.के.गुप्ता आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन पुष्पेंद्रसिंह माण्डव ने किया। आभार देवीसिंह भेखरेड़ ने व्यक्त किया।