जानकारी के मुताबिक़ वर्ष 2000 में मेसर्स चित्तौड़ा ट्रेडिंग कंपनी ने दुकान निर्माण के लिए तीन लाख रूपए जमा करवाए थे। लेकिन बाद में डूंगरपुर पंचायत समिति ने अमानता राशि ही नहीं लौटाई। बार-बार निवेदन करने के बाद भी जब राशि नहीं लौटाई गई तब कंपनी ने कोर्ट की शरण ली।
प्रार्थी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पंचायत समिति को कुर्क करने के आदेश दे दिए। कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई करने के लिए सेल अमीन मय दाल-बल के साथ पंचायत समिति के दफ्तर पहुंचे और कुर्की की कार्रवाई शुरू की।
इधर, कार्रवाई की खबर सुनकर प्रधान लक्षमण कोटेड़ और बीडीओ भी दफ्तर पहुँच गए। दोनों पक्षों के बीच कुछ देर वार्ता हुई। लेकिन वार्ता विफल होने और कोर्ट के आदेश के बाद कुर्की कार्रवाई पूरी की गई। कार्रवाई के लिए दफ्तर को खाली करवाया गया और कमरों को बंद करके उसपर सील लगाकर कुर्क किया गया।