दहशत की कहानी है मोतली मोड से 500 मीटर की दूर पर स्थित श्रीनाथ कॉलोनी में रह रहे लोगों की। लोगों का कहना है कि हम तो आम इंसान है। हम सरकार थोड़ी हैं। प्रदर्शनकारियों को अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखना चाहिए, इस तरह दशहत फैला कर क्या हासिल करना चाहते हैं। कॉलोनी वासियों ने दहशत की दास्तों बयां करते हुए बताया कि हम पूरे माहौल पर नजर रखे हुए थे और सहज रूप से थे। पर किसे पता था कि दहशत की आग उनके घरों और दुकानों तक भी पहुंच जाएगी। कॉलोनी के पास से पुलिस वाहन हर थोड़ी देर से गुजर रहे थे।
ऐसे में काफी हद तक निश्चित थे कि कुछ नहीं होगा। लेकिन, शुक्रवार शाम तीन बजे बाद यकायक पस्थितियां बदलती गई। पुलिस, प्रशासन का कोई नुमांइदा दूर—दूर तक नजर नहीं आ रहा था। शाम होते—होते बड़ी संख्या में हाथों में लट्ठ और बड़े चट्टानी पत्थर लिए उपद्रवियों ने 118 घरों की कॉलोनी को घेर लिया। कुछ समय पाते इससे पहले उपद्रवियों ने जोर—जोर से हो—हल्ला और डरावनी चित्कारें करना शुरु कर दिया। बच्चे तो बच्चे बड़े भी सहम उठे। सभी कॉलोनी के घर के लोगों ने आपस में फोन पर बातचीत तय किया कि कोई भी घर से बाहर नहीं निकलेगा। सभी दरवाजे खिड़कियां अंदर से बंद कर ली। जैसे शाम ढल रही थी उनका उपद्रव बढ़ता जा रहा। पहाड़ियों पर से उनकी छतों पर पत्थर डाले जा रहे थे। रात ढलते ही बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने क्षेत्र की सोसायटी के बाहर दुकानों को घेर लिया।
एक के बाद एक दुकानों के तोल टूटने की आवाजे आने लगी। पर, जाने है जहाने है यह सेाचे लोग घरों में ही दुबके रहे। कंगन स्टोर, किराणा, इलेक्ट्रेनिक्स एवं लोहे की दुकानों में तोड़फोड़ कर एक दो दुकानों में आग भी लगा दी। एक दुकान में बुजुर्ग दंपती आग के बीच फंस गए थे। कॉलोनी के कुछ साहसी युवकों ने पीछे के रास्ते के दरवाजे खोल कर दोनों को बचाया। लूटपाट एवं आगजनी के बाद उपद्रवी वापस पहाड़ी पर चढ़ गए। लेकिन उनका डर और दहशत अब भी है।