किसानों से कर्जमाफी के नाम पर ठगी, सामने आया 8.30 करोड़ रुपए का घोटाला हाल ही में पोर्टल पर 50 हजार रुपए का ऋण जारी होने के साथ जमा होने की जानकारी मिली। जबकि उन्हें कोई ऋण राशि प्राप्त ही नहीं हुई। जेठाणा के योगेश व्यास ने बताया कि उनके पिता की मौत 13 अक्टूबर, 2017 को हो गई थी फिर भी उनके नाम से 49 हजार 500 का ऋण जारी हो गया तथा माफ भी हो गया। जबकि योगेश व्यास ने लेत्प्स में जाकर मृत्यु प्रमाण पत्र भी जमा करा दिया था।
जिन्होंने ऋण बांटे, उन्हें ही जांच सौंपी
उदयपुर-राजसमंद व धरियावद में जिन अधिकारियों ने किसानों के ऋण स्वीकृत किए, उन्हें ही जांच का जिम्मा सौंप दिया। 17 टीमें बनाई गई हैं, जिसमें बैंक मैनेजर व ऋण पर्यवेक्षक शामिल हैं जबकि पूर्व में इन्हीं के हस्ताक्षर से ऋण वितरित किए गए थे।
उदयपुर-राजसमंद व धरियावद में जिन अधिकारियों ने किसानों के ऋण स्वीकृत किए, उन्हें ही जांच का जिम्मा सौंप दिया। 17 टीमें बनाई गई हैं, जिसमें बैंक मैनेजर व ऋण पर्यवेक्षक शामिल हैं जबकि पूर्व में इन्हीं के हस्ताक्षर से ऋण वितरित किए गए थे।
मालूम हो कि 2018 में कर्जमाफी योजना के लाभार्थियों की यह सूची बुधवार से ही प्रदेश की हर सहकारी समितियों पर चस्पा होने लगी है। डूंगरपुर में हुए सहकारी लोन फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने सूची चस्पा करने के आदेश दिए थे। अब कर्जदार का नाम और कर्ज माफी की राशि का खुद किसान सत्यापन कर रहे हैं। कुछ गांवों से शिकायत पर वहां जांच टीम भेजी है। प्रदेश स्तर पर फर्जीवाड़ी की पड़ताल के लिए अतिरिक्त रजिस्ट्रार प्रथम के नेतृत्व में जांच टीम बनाई है।
ठगों ने किसानों के नाम पर लोन उठाया और फिर कर्जमाफी होने पर रकम डकार गए। ऐसा फर्जीवाड़ा कुछ दिन पहले डूंगरपुर के सागवाड़ा में सामने आया था। इसके बाद प्रदेश स्तर पर शिकायतें मिल रही हैं। इसी को देखते हुए सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने आदेश दिए कि वर्ष 2018 में की गई किसानों की कर्जमाफी से लाभान्वित किसानों की सूची संबंधित ग्राम सेवा सहकारी समिति पर चस्पा हो।