डूंगरपुर

शिक्षा की देवी के नाम पर बना डूंगरपुर का एक मात्र गर्ल्स कॉलेज सरकार की अनदेखी का शिकार

Government Virbala Kali Bai Girls College dungarpur : बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश अब देश में लोगों के जहन में बस चुका है। जागरूकता के इस दौर में अधिकांश लोग बालिका शिक्षा को लेकर सजग हो गए हैं, लेकिन बात जब बेटियों की उच्च शिक्षा की आती है तो न चाहते हुए भी उन्हें घर पर बैठाना पड़ता है। सरकार ने सरकारी कन्या महाविद्यालय तो खोल दिया, लेकिन पद भरने की सुध नहीं ली। शहर के एकमात्र गर्ल्स कॉलेज राजकीय वीरबाला काली बाई कन्या महाविद्यालय में शिक्षण व्यवस्था बदहाल हो रही है।

डूंगरपुरDec 07, 2019 / 10:47 pm

Devendra Singh

नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सुरक्षा संबंधी दिए गए संदेश

शिक्षा की देवी के नाम पर बना डूंगरपुर का एक मात्र गर्ल्स कॉलेज सरकार की अनदेखी का शिकार
देवेन्द्र सिंह डूंगरपुर. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश अब देश में लोगों के जहन में बस चुका है। जागरूकता के इस दौर में अधिकांश लोग बालिका शिक्षा ( girl education ) को लेकर सजग हो गए हैं, लेकिन बात जब बेटियों की उच्च शिक्षा ( Higher education of daughters ) की आती है तो न चाहते हुए भी उन्हें घर पर बैठाना पड़ता है। सरकार ने शिक्षा की देवी के नाम पर शहर में सरकारी कन्या महाविद्यालय ( Government Girls College ) तो खोल दिया, लेकिन पद भरने की सुध नहीं ली। शहर के एकमात्र गर्ल्स कॉलेज राजकीय वीरबाला काली बाई कन्या महाविद्यालय में शिक्षण व्यवस्था बदहाल हो रही है। छात्राओं को मजबूरन दूसरे महाविद्यालयों में प्रवेश लेना पड़ रहा है, तो कई छात्राएं उदयपुर जा रही हैं। यही नहीं महाविद्यालय में प्रशासनिक भवन तक नहीं है।
महाविद्यालय में एक तो छात्राओं के अनुपात में व्याख्याताओं की पर्याप्त संख्या नहीं है। व्याख्याताओं के स्वीकृत 23 में से 12 पद रिक्त हैं। इनमें से भी दो व्याख्याता प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं। महाविद्यालय में सरकार ने गत साल आठ कक्षा कक्षों का निर्माण तो करवा दिया लेकिन बैठने के लिए मेज कुर्सी की व्यवस्था नहीं की ऐसे में छात्राओं को पुराने कक्षा कक्षों में ही बैठना पड़ रहा है।
गृह विज्ञान में सभी पद रिक्त
महाविद्यालय में गृह विज्ञान विषय में व्याख्याता का पद स्वीकृत है, लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है। इसी तरह प्रथम वर्ष कला संकाय में सर्वाधिक छात्राएं भूगोल विषय में प्रवेश लेती है। भूगोल में छह सौ छात्राएं हैं वे नियमित रूप से महाविद्यालय आती हैं, लेकिन एक ही व्याख्याता के कारण पर्याप्त कक्षाएं नहीं लगने से निराश रहती हैं। खास बात यह है पूर्व में स्नातक स्तर से इस कॉलेज को स्नातकोत्तर तो कर दिया गया, लेकिन पीजी में केवल एक विषय समाज शास्त्र शुरू किया गया है। ऐसे में दूसरे विषयों के लिए बालिकाओं को अन्यत्र जाना पड़ता है। वाणिज्य विभाग में पांच पद स्वीकृत है लेकिन दो व्याख्याता ही कार्यरत है। जंतु विज्ञान व रसायन विज्ञान पढ़ाने वाला कोई नहीं है। हिन्दी ऐच्छिक व अनिवार्य विषय होने के बावजूद पर्याप्त व्याख्याता नहीं हैं। इन विषयों की नियमित पढ़ाई नहीं हो पा रही। बात प्रायोगिक कक्षाओं की करें तो यहां भी हाल बूरे हैं। प्रयोगशाला सहायक व परिचारकों के पद तो स्वीकृत हैं, लेकिन यह सभी पद रिक्त हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक छात्रा ने बताया कि वो यहां पढऩे नहीं, केवल प्रेक्टिकल के लिए आती है।
पुस्तकालय भवन भी नहीं
महाविद्यालय में कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय में करीब 1588 बालिकाएं अध्ययनरत हैं, लेकिन महाविद्यालय में न तो पुस्ताकालय है और ना ही पुस्तकालायध्यक्ष है। वर्तमान में एक कक्षाकक्ष को अस्थाई पुस्ताकालय बना रखा है। इसमें एक लगी एक टेबल पर आठ से अधिक छात्राएं बैठ अध्ययन नहीं कर सकती। इसके अलावा महाविद्यालय में खेल मैदान और संसाधनों का भी अभाव है। उधर, पीने के पानी के लिए लगे नल प्लेटफार्म भी बदहाल है।
न प्राचार्य और न ही उपाचार्य
महाविद्यालय में वर्तमान में प्राचार्य व उपाचार्य दोनों पद रिक्त हैं। व्या याता दीपक शाह कार्यवाहक के तौर पर प्राचार्य का कार्य देख रहे हैं। इनके अलावा प्रशासनिक विभाग में कार्यालय के स्वीकृत पद ाी रिक्त है। शारीरिक शिक्षक भी नहीं है। कार्यालय सहायक के चार में से तीन पद ल बे समय से रिक्त चल रहे हैं।

सफाई व्यवस्था पर भी उठे थे सवाल
गत दिनों महाविद्यालय में हुए छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन समारोह में सुविधाघरों की सफाई का लेकर सवाल उठे थे। छात्रसंघ अध्यक्षा ने स्वयं मंच से इसका जिक्र किया था। इसके अलावा महाविद्यालय की अन्य कमियों को लेकर भी अतिथियों का ध्यान आकर्षित किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
इनका कहना. .
महाविद्यालय में रिक्त पदों को लेकर समय-समय पर कॉलेज शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखे जाते रहे हैं। व्या याताओं के रिक्त पदों से पढ़ाई में परेशानी तो आती ही है। लेकिन कोई विकल्प भी नहीं है।
– डा. दीपक शाह कार्यवाहक प्राचार्य वीरबाला काली बाई कन्या राजकीय महाविद्यालय

प्राचार्य व उपप्राचार्य का पद भी खाली
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