ऐसे में बात गुजरात चुनाव की हो, तो राजस्थान की हवाएं खुद-ब चुनाव की रंगत में रंग जाती है। लोगों की टकटकी वहां बनते-बिगड़ते समीकरणों पर टिक जाती है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के तहत मतदान का पहला चरण गुरुवार से शुरू होगा और दक्षिणी राजस्थान से सटी सीटों पर दूसरे चरण में वोट होंगे। ऐसे में गुजरात चुनाव की जमीनी हकीकत जानने के लिए पत्रिका टीम वागड़ से सटे राजस्थान-गुजरात के बॉर्डर पर पहुंची तथा वहां से जानी जमीनी हकीकत और चुनावी माहौल को।
चुनावी रंग में रंग गए हैं बॉडर्र के गांव डूंगरपुर से गुजरात जाने के लिए रतनपुर, मांडली, उड़वा बॉर्डर से लेकर वीरपुर चेक पोस्ट से गुजरना होता है। यहां इस तरफ राजस्थान है, तो सामने की छोर पर गुजरात की हरियाली नजर आती है। मतदान के ठीक एक दिन पहले गुजरात के सटे गांवों में चुनावी चौपाल जरूर थी। चुनाव की बात छेड़ते ही लोग विकास, रोजगार आदि के मुद्दे प्रमुखता से उठाते हैं।
ससुराल में चुनाव, पीहर में जश्न भले ही चुनाव गुजरात में है पर दक्षिणी राजस्थान के गुजरात से सटे बॉर्डर के गांवों में रिश्तेदारी की रंगत इस कदर है कि सब अपनों के लिए चुनाव में लगे हैं। इन गंावों के बेटियों का ब्याह गुजरात में ज्यादा कराया है, तो कई गुजरात में नौकरी व व्यापार भी करते हैं। सब अपने हिसाब से चुनाव में लगे हैं। ऐसे में ससुराल गुजरात में चुनाव का माहौल बेटियों के यहां राजस्थान के पीहर में भी साफ नजर आ रहा है। डूंगरपुर के पूर्व जिला प्रमुख माधवलाल वरहात कहते है कि वे गुजरात में अरावल्ली जिले की भिलोड़ा विधानसभा सीट पर लगे हुए हैं। वे बताते है कि उनका ससुराल, ननिहाल इसी क्षेत्र में है, उनके बहनें मौसी भी यहीं रहते हैं, तो पूरी तरह से सबसे सम्पर्क में है और उनको साथ लेकर आगे से आगे सम्पर्क बढ़ा रहे हैं। इसी प्रकार डूंगरपुर के बाबूलाल लबाना व दीनदयाल सिंह मोडासा क्षेत्र में लगेे है। वहीं भाजपा व कांग्रेस के बड़े नेताओं को बॉर्डर से जुड़े गुजरात विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी है। वीरपुरा चेक पोस्ट के आगे गुजरात के गेड पंचायत के सरपंच महेन्द्र खराड़ी कहते है कि इस क्षेत्र में अरवल्ली जिले के अंदर जो गुजरात के गांव राजस्थान सीमा से सटे है वहां राजस्थान की बेटियों का ब्याह किया हुआ है। लम्बी चौड़ी रिश्तेदारी क्षेत्र में है। वे कहते है कि इसको लेकर सब आपस में अपने-अपने हिसाब से सम्पर्क करते है।
वागड़ से सटी गुजरात की विधानसभाएं डूंगरपुर जिले से खेडब्रह्मा, भीलूड़ा, मोड़ासा, लूणावाड़ा, ईडर, पालनपुर, डिसा आदि नजदीकी क्षेत्र हैं। वहीं, बासवाड़ा से गुजरात की फतेहपुरा, संतरामपुर, झालोद, दाहोद सटे हुए क्षेत्र में हैं। ऐसे में यहां की सभाओं के लिए राजस्थान के कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दे रखी हैं। कई पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने इन दिनों गुजरात में ही डेरा जमाए रखा है।
वागड़ भी बनाता है गुजरात में सरकार वागड़ के डूंगरपुर-बांसवाड़ा के बड़ी संख्या में लोग रोजगार के हिसाब से गुजरात में रहते हैं और बरसों से वहीं रहने से अब वह वहां के मतदाता भी है। डूंगरपुर के कई नगर यथा सूरत, बड़ोदरा, राजकोट, भावनगर, मेहसाणा, पालमपुर, अहमदाबाद, गांधीनगर,भुज, आनंद, बनासकांठा, साबरकांठा, पाटन और अरावली आदि क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बड़ी संख्या में राजस्थान के लोग रहते हैं।
वागड़ भी बनाता है गुजरात में सरकार वागड़ के डूंगरपुर-बांसवाड़ा के बड़ी संख्या में लोग रोजगार के हिसाब से गुजरात में रहते हैं और बरसों से वहीं रहने से अब वह वहां के मतदाता भी है। डूंगरपुर के कई नगर यथा सूरत, बड़ोदरा, राजकोट, भावनगर, मेहसाणा, पालमपुर, अहमदाबाद, गांधीनगर,भुज, आनंद, बनासकांठा, साबरकांठा, पाटन और अरावली आदि क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बड़ी संख्या में राजस्थान के लोग रहते हैं।
आदिवासी वोट बैंक सर्वाधिक…
दक्षिणी राजस्थान के खासकर डूंगरपुर के सीमलवाड़ा, बिछीवाड़ा, सागवाड़ा, आसपुर सहित बांसवाड़ा के परतापुर, कुशलगढ़, बागीदौरा, गढ़ी आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में खासकर आदिवासी, पाटीदार, ब्राह्मण समाज के लोग रहते हैं। वहीं, गुजरात में करीब 25 से अधिक विधानसभा ऐसी हैं, जहां आदिवासी वोट बैंक काफी अधिक है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां इस वोट बैंक को साध कर अपनी सरकार बनाना चाहते हैं। आदिवासी वोट बैक को अपने कब्जे में लेेने के लिए दोनों ही राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और भाजपा के साथ ही बीटीपी एवं आप पार्टी जोर आजमाइश कर रही है।
दक्षिणी राजस्थान के खासकर डूंगरपुर के सीमलवाड़ा, बिछीवाड़ा, सागवाड़ा, आसपुर सहित बांसवाड़ा के परतापुर, कुशलगढ़, बागीदौरा, गढ़ी आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में खासकर आदिवासी, पाटीदार, ब्राह्मण समाज के लोग रहते हैं। वहीं, गुजरात में करीब 25 से अधिक विधानसभा ऐसी हैं, जहां आदिवासी वोट बैंक काफी अधिक है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां इस वोट बैंक को साध कर अपनी सरकार बनाना चाहते हैं। आदिवासी वोट बैक को अपने कब्जे में लेेने के लिए दोनों ही राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और भाजपा के साथ ही बीटीपी एवं आप पार्टी जोर आजमाइश कर रही है।
गुजरात चुनाव फ्लेश-बैक
गुजरात प्रदेश में कुल 182 विधानसभा सीट है तथा यहां तीन दशक से लगातार सत्ता में भाजपा है। हालांकि, 2002 के बाद यहां लगातार भाजपा का वोट बैंक कमजोर हुआ है। विपक्षी पार्टियां इस बार ऐढ़ी से चोटी का जोर लगा रही है।
वर्ष : भाजपा : कांग्रेस: अन्य
2002 :127: 51: 04
2007 : 117: 59: 06
2012 : 115 :61 : 06
2017 : 99 : 77 : 06
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