scriptगणपति बप्पा मोरिया के जन्मदिन पर बना चतुग्रही योग और घर पर विराजित कर रहे हैं गणपति तो जान ले पहले यह पूरी विधि | hindi-news-for-ganesh-chaturthi | Patrika News

गणपति बप्पा मोरिया के जन्मदिन पर बना चतुग्रही योग और घर पर विराजित कर रहे हैं गणपति तो जान ले पहले यह पूरी विधि

locationडूंगरपुरPublished: Sep 02, 2019 11:25:16 am

Submitted by:

milan Kumar sharma

गणेश चतुर्थी पर ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बन रहे हैं। इनके साथ ही सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है।

गणपति बप्पा मोरिया के जन्मदिन पर बना चतुग्रही योग

गणपति बप्पा मोरिया के जन्मदिन पर बना चतुग्रही योग

गणपति बप्पा मोरिया के जन्मदिन पर बना चतुग्रही योग
डूंगरपुर. इस बार गणपति बप्पा मोरिया के जन्मोत्सव पर अद्धभुत योग बन रहा है। इस दिन रवि योग के साथ चतुग्रही योग भी बन रहा है। मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चित्रा नक्षत्र में ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि यानि गणेश चतुर्थी को गणेश जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में गणेश की घर घर पूजा की जाएगी। ज्योतिष के अनुसार इस दिन व्यापार आरंभ, ज्वेलरी, मकान, भूमि वाहन, आदि की खरीद करना शुभ रहता है। गणेशोत्सव की शुरूआत चतुर्थी के दिन गणेश स्थापना के साथ होगी।

गणेश स्थापना के लिए श्रेष्ठ है मध्याह्न काल
पण्डित बाल मुकुंद त्रिवेदी अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए भगवान गणेश की स्थापना और पूजा मध्याह्न काल के मुहुर्त में की जाए, तो अतिउत्तम रहता है।

रवि योग के साथ बन रहा है चतुग्रही योग
ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री के अनुसार इस साल गणेश चतुर्थी पर ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बन रहे हैं। इनके साथ ही सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है। यानी सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र हैं। ग्रह-नक्षत्रों के इस शुभ संयोग में गणेश स्थापना करने से समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होगी। वहीं, सच्चे मन से आराधना करने पर गणपति भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।

यह है श्रेष्ठ मुहूर्त
ज्योतिष मार्तण्ड करुणाशंकर जोशी के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी सोमवार को है। गणेश पूजन एवं स्थापना के लिए श्रेष्ठ मुहुर्त निम्नानुसाार है। सुबह 6:20 से 7:50 अमृत चोघडिय़ा, 9:20 से 10:50 शुभ, 12:20 से 1:10 तक अभिजित वेला, 3:20 से 4:50 लाभ तथा 4:50 से 6:20 तक अमृत वेला है। उक्त समय में भगवान गणेश का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।

गणेश चतुर्थी का महत्व
हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है। कोई भी पूजा, हवन या मांगलिक कार्य उनकी स्तुति के बिना अधूरा है। हिन्दुओं में गणेश वंदना के साथ ही किसी नए काम की शुरूआत होती है। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी यानी कि भगवान गणेश के जन्मदिवस को देश भर में पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ मनाया जाता है। सिर्फ चतुर्थी के दिन ही नहीं भगवान गणेश का जन्म उत्सव पूरे 10 दिन यानी कि अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है। बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने शासन काल में राष्ट्रीय संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक रूप से गणेश पूजन शुरू किया था। लोकमान्य तिलक ने 1857 की असफल क्रांति के बाद देश को एक सूत्र में बांधने के ध्येय से इस पर्व को सामाजिक और राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू की।

यूं करें गणपति प्रतिमा स्थापना
गणपति की स्थापना गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न में की जाती है। मान्यता है कि गणपति का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। साथ ही इस दिन चंद्रमा देखना वर्जित है। गणपति की स्थापना की विधि इस प्रकार है।
आप चाहे तो बाजार से खरीदकर या अपने हाथ से बनी गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।
गणपति की स्थापना करने से पहले स्नान करने के बाद नए या साफ धुले हुए बिना कटे-फटे वस्त्र पहनने चाहिए।
इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाएं।
आसन कटा-फटा नहीं होना चाहिए। साथ ही पत्थर के आसन का इस्तेमाल न करें।
इसके बाद गणेशजी की प्रतिमा को किसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें।

गणेश चतुर्थी की पूजन विधि
– सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें।
– फिर गणेशजी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वन करें।
– इसके बाद गणेश प्रतिमा स्नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं।
– गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं।
– इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें।
– अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं।
– अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का उपयोग करें।
– अब नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य में मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल हैं।
– इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिणा प्रदान करें।
– अब अपने परिवार के साथ गणपति की आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है।
– इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें।
– गणपति की परिक्रमा करें। ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।
– इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें।
– पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो