डूंगरपुर

पत्नियों के साथ अब पति भी रखते है करवा चौथ का व्रत

karava choth 2019 : अखंड सुहाग की कामना लिए किए जाने वाला करवा चौथ का व्रत गुरुवार को किया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जल रह कर शाम को चंद्रमा के दर्शन कर व्रत का पारणा करेंगी। चंद्रोदय रात आठ बजकर 39 मिनट पर होगा।

डूंगरपुरOct 16, 2019 / 09:33 pm

Devendra Singh

करवा चौथ 17 अक्टूबर 2019 : संपूर्ण पूजा विधि एवं पूजा का सटीक शुभ मुहूर्त

डूंगरपुर. अखंड सुहाग की कामना लिए किए जाने वाला करवा चौथ ( karava choth ) का व्रत गुरुवार को किया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जल रह कर शाम को चंद्रमा (chandrama ) के दर्शन कर व्रत का पारणा करेंगी। चंद्रोदय रात आठ बजकर 39 मिनट पर होगा। सुहागिन महिलाओं खास कर नवविवाहितओं में खासा उत्साह दिखाई दिया। सुबह महिलाएं निर्जला व्रत का संकल्प लेंगी। शाम को 16 शृंगार कर चंद्र देव का दर्शन कर कच्चा दूध व गंगा जल से अर्घ्य देंगी। पूजा के बाद पर्व आधारित कथा सुनी जाएगी और फिर चलनी की ओट से पहले चांद फिर पति का दीदार करेंगी। पूजा के बाद पति पत्नी को पानी या जूस पिलाकर व्रत का पारणा करवाएंगे। इस दिन सुबह 6.48 बजे से दोपहर 3.51 बजे तक स्थिर योग रहेगा। कई पति भी जीवनसंगिनी का साथ देने और उनकी दीर्घायु के लिए भी व्रत रखेंगे। वे भी रात में पत्नी के साथ ही व्रत खोलेंगे।

युवतियां रखेंगी मंगेतर के लिए व्रत

इस दिन एक और जहां विवाहित महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखा
-सुगिने रखेंगी पति की दीर्घायु के लिए निर्जल व्रत वहीं युवतियों ने अच्छे वर के लिए व्रत रखा है। कुछ सालों के अविवाहित युवतियों के भी अच्छे वर या मंगेतर के लिए व्रत रखने की नई परंपरा शुरू हुई। जिसके चलते अब बड़ी संख्या में अविवाहित युवतियां भी इस व्रत को करने लगी है।
बाजारों में रही रौनक:
एक दिन पहले से ही महिलाओं ने व्रत की तैयारियां शुरू कर दी। महिलाओं ने पर्व के लिए जम कर खरीदारी की, जिससे बाजारों में देर रात तक काफी रौनक रही। पत्नियों ने जहां पूजा सामग्री, करवें, सोलह शृंगार का सामान, कपड़े खरीदे वही पतियों ने भी पत्नियों के लिए महंगे उपहार खरीदे। देर शाम तक महिलाएं ब्यूटी पार्लर पर अपनी सुंदरता में चार चांद लगवाने में व्यस्त नजर आई।

ऐसी है मान्यता
प. रवि शर्मा के अनुसार व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में महाभारत की लड़ाई से पहले भगवान श्रीकृष्ण के निर्देशन पर सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ का सबसे पहले व्रत द्रौपदी ने रखा था। तब से इस तिथि पर निर्जला व्रत रखकर चंद्र आराधना की जाती है। इसमें महिलाएं देवी पार्वती, गणेशजी और चंद्रदेव की पूजा करेंगी। शास्त्रों के अनुसार पूजा करते समय प्रतिमा का मुख पश्चिम में रखना चाहिए। इस दिन खीर पुआ, दहीवड़ा, दाल की पुड़ी, गुड़ का हलुआ आदि का भोग लगाया जाता है। इस व्रत में पूरी पूजा प्रक्रिया के दौरान भगवान के लिए दिल से समर्पण आस्था और विश्वास की आवश्यकता है।

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