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‘पिच्छी आचरण-संयम में परिवर्तन का कराती है बोध’

locationडूंगरपुरPublished: Nov 19, 2018 03:03:18 pm

Submitted by:

Deepak Patel

डूंगरपुर ञ्च पत्रिका. आर्यिका सौभाग्यमति माताजी ने कहा कि पिच्छी साधु-संतों के आचरण, संयम में परिवर्तन का बोध कराती हैं और चातुर्मास के यह चार माह धर्म आराधना के साथ-साथ हमारे जीवन के व्यक्तित्व में परिवर्तन को सुनिश्चित करते

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‘पिच्छी आचरण-संयम में परिवर्तन का कराती है बोध’

‘पिच्छी आचरण-संयम में परिवर्तन का कराती है बोध’

डूंगरपुर ञ्च पत्रिका. आर्यिका सौभाग्यमति माताजी ने कहा कि पिच्छी साधु-संतों के आचरण, संयम में परिवर्तन का बोध कराती हैं और चातुर्मास के यह चार माह धर्म आराधना के साथ-साथ हमारे जीवन के व्यक्तित्व में परिवर्तन को सुनिश्चित करते हैं।
आर्यिका ने यह बात दिगम्बर जैन महावीर सेवा समिति के तत्वावधान में मुख्य डाकघर के निकट चल रहे सात दिवसीय समवशरण के तीसरे दिन पिच्छी परिवर्तन सहित विविध धार्मिक कार्यक्रमों में उपस्थित धर्म प्रेमियों को कही। उन्होंने कहा कि चातुर्मास धर्म आराधना का पर्व हैं और उसमें साधु संत से लगाकर श्रावक सभी मन में व्याप्त विकारों को दूर करने का प्रयास करते हैं और पिच्छी हमें यही संदेश देती हैं कि सार सार को ग्रहण करो। आत्मा पर छाये राग, द्वेष की धूल को साफ करें।
इससे पूर्व सुबह आर्यिका संघ को गाजे-बाजे के साथ विधान स्थल पर लाए। यहां विधिकारक के सान्निध्य में शांतिधारा, अभिषेक सहित विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुए। आर्यिका सौभाग्यमति माताजी को प्रदीप शांतिलाल कोटडिया परिवार ने पिच्छी भेंट, बीएम लाल जैन ने शास्त्र तथा पाद प्रक्षालन, वस्त्र भेंंट बाबूलाल परिवार ने भेट किए। इस मौके पर साधु सेवा समिति के दिनेश शाह, सोहन लाल जैन, रमेश जैन, कल्याणमल जैन, चंद्रप्रकाश कोटडिया, दिनेश नागदा, नीरव जैन, गजेन्द्र जैन, आशीष गजराज, प्रकाश कोटडिया, सूर्य प्रकाश भंवरा आदि शामिल हुए।
समवशरण की बही धर्म रसधारा
साबला. भगवान की शरण में भव्यता दिखाने वाला ही भक्त ईश्वरीय पुण्य प्राप्त करता है। साथ ही वह अपने अच्छे कर्मों की फल की प्राप्ति भी करता है। यह बात रविवार को निठाउवा गामड़ी में सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से चल रहे आठ दिवसीय कल्पद्रुम महामण्डल विधान के तीसरे दिन आचार्य सुंदरसागर महाराज ने दिए। उन्होंने कहा कि समवशरण की रचना होती है, वहां अकाल नहीं होता है। अपितु, सुकाल, धन, धान्य व पुण्य ही पुण्य होता है। प्रारम्भ में प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया ने मंत्रोच्चारण के साथ अनन्तनाथ भगवान की पूजा की।
इन्होने लिया लाभ
विधान दौरान मांगीलाल कजेरिया ने आदिनाथ भगवान का पंचामृत अभिषेक, शांतिधारा, मानमल कंजेरिया ने समवशरण पर पुष्पवृष्ट्रि, जितेन्द्र बोहरा परिजन ने पाद प्रक्षालन किया। इस मौके पर संगतीमय स्वरों के बीच भक्ति की सरिता में भक्तजन नाच उठे। इस मौके पर दिनेश जैन, कुलदीप जैन, वस्तुपाल, पीयूष जैन शामिल हुए।

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