एसीबी के उपाधीक्षक गुलाबसिंह मीणा नेे बताया कि केसरपुरा निवासी रावजी पुत्र दुबल दामा की कृषि भूमि खसरा नंबर गलत अंकित हो गया। रावजी ने खसरा नंबर दुरुस्त करवाने के लिए जसेला पटवारी नवाघरा गलियाकोट निवासी संजय पुत्र रणजीत मीणा के पास गया तो उसने इसके लिए 7500 रुपए की रिश्वत मांगी। रावजी ने 14 अगस्त को इसकी शिकायत एसीबी को कर दी।
ब्यूरो ने शिकायत का सत्यापन कराया, लेकिन फरियादी के पास टै्रप करवाने के लिए रिश्वत के 7500 रुपए भी नहीं थे। रावजी निराश हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और बाहर के गांव जाकर डेढ़ महीने तक मेहनत मजदूरी कर जरूरी राशि जुटाई। राशि पूरी होने पर वह डेढ़ माह बाद फिर एसीबी के कार्यालय आया और पटवारी को ट्रैप करवाने की गुहार लगाई।
और रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया
गुरुवार को एसीबी की टीम जसेला पहुंची। पटवार मंडल में प्रार्थी रावजी ने पटवारी को रिश्वत की राशि के रंग लगे 7500 रुपए के नोट थमाए। पटवारी ने ये राशि ग्राम प्रतिहारी कमा पुत्र नगजी राडार को दे दी। इशारा पाते ही दल ने दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण जुट गए, जिसके चलते पुलिस बल बुलवाना पड़ा।
गुरुवार को एसीबी की टीम जसेला पहुंची। पटवार मंडल में प्रार्थी रावजी ने पटवारी को रिश्वत की राशि के रंग लगे 7500 रुपए के नोट थमाए। पटवारी ने ये राशि ग्राम प्रतिहारी कमा पुत्र नगजी राडार को दे दी। इशारा पाते ही दल ने दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण जुट गए, जिसके चलते पुलिस बल बुलवाना पड़ा।
दफ्तर में नहीं मिलता पटवारी
ग्रामीणों ने बताया कि पटवारी कभी अपने दफ्तर में नहीं मिलता। वह महीने में एक या दो बार ही पटवार मंडल आता है। ब्यूरो का दल भी लगातार उसे ट्रैप करने के लिए तीन दिनों तक रेकी करता रहा, तब कहीं जाकर गुरुवार को वह हाथ लगा। आरोपितों के घरों आदि की भी तलाशी ली जा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि पटवारी कभी अपने दफ्तर में नहीं मिलता। वह महीने में एक या दो बार ही पटवार मंडल आता है। ब्यूरो का दल भी लगातार उसे ट्रैप करने के लिए तीन दिनों तक रेकी करता रहा, तब कहीं जाकर गुरुवार को वह हाथ लगा। आरोपितों के घरों आदि की भी तलाशी ली जा रही है।