प्रसूति कक्ष का हाल बेहाल
सीमलवाड़ा. सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में प्रसूति कक्ष बहुत पुराना है। अस्पताल में गायनिक विशेषज्ञ डा.पवन शर्माकी नियुक्ति के बाद प्रसव बढ़ें हैं। वर्तमान में हर माह 200 डिलेवरी होती है, लेकिन उसके मुताबिक सुविधाएं नहीं हैं। अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए वार्मर आदि भी उपलब्ध है, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ के अभाव में रैफर ही एकमात्र विकल्प है।
सीमलवाड़ा. सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में प्रसूति कक्ष बहुत पुराना है। अस्पताल में गायनिक विशेषज्ञ डा.पवन शर्माकी नियुक्ति के बाद प्रसव बढ़ें हैं। वर्तमान में हर माह 200 डिलेवरी होती है, लेकिन उसके मुताबिक सुविधाएं नहीं हैं। अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए वार्मर आदि भी उपलब्ध है, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ के अभाव में रैफर ही एकमात्र विकल्प है।
मातृ-शिशु अस्पताल की दरकार
सागवाड़ा. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय जिले का दुसरा बड़ा चिकित्सालय है। लेकिन, सुविधाओं की कमी के चलते रोगी इलाज के लिए पलायन करते हैं। यहां महिलाओं के लिए अलग से जननी वार्ड बना रखा हैं। इसमें 40 बेड हैं, जो यहां होने वाले प्रसवों की तुलना में काफी कम हैं। जनवरी 2017 से अगस्त 2017 तक 8 माह में 2413 महिलाओं की प्रसूति हुई है। महिला रोगियों की देखरेख के लिए वार्ड में तीन चिकित्सक, दो फस्र्ट ग्रेड एवं चार सेकण्ड ग्रेड नर्सिंगकर्मी कार्यरत हैं। चिकित्साधिकारी प्रभारी डॉ. हरबीर छाबड़ा ने बताया कि गायनिक वार्ड के लिए अलग से कोई स्टाफ स्वीकृत नहीं है चिकित्सालय की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए स्टाफ लगा रखा है। उन्होंने बताया कि चिकित्सालय में अलग से मदर चाईल्ड हॉस्पीटल की दरकार है।
सागवाड़ा. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय जिले का दुसरा बड़ा चिकित्सालय है। लेकिन, सुविधाओं की कमी के चलते रोगी इलाज के लिए पलायन करते हैं। यहां महिलाओं के लिए अलग से जननी वार्ड बना रखा हैं। इसमें 40 बेड हैं, जो यहां होने वाले प्रसवों की तुलना में काफी कम हैं। जनवरी 2017 से अगस्त 2017 तक 8 माह में 2413 महिलाओं की प्रसूति हुई है। महिला रोगियों की देखरेख के लिए वार्ड में तीन चिकित्सक, दो फस्र्ट ग्रेड एवं चार सेकण्ड ग्रेड नर्सिंगकर्मी कार्यरत हैं। चिकित्साधिकारी प्रभारी डॉ. हरबीर छाबड़ा ने बताया कि गायनिक वार्ड के लिए अलग से कोई स्टाफ स्वीकृत नहीं है चिकित्सालय की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए स्टाफ लगा रखा है। उन्होंने बताया कि चिकित्सालय में अलग से मदर चाईल्ड हॉस्पीटल की दरकार है।
आदर्श का तमगा, सुविधाएं शून्य
रामसौर. प्राथमिक स्वास्थ केंद्र जसेला को एंबुलेंस की दरकार है। यहां पर करीबन चालीस से पचास प्रसव हर माह होते हैं। मरीज की गंभीर स्थिति होने पर रैफर करने के दौरान तकलीफ होती है। संस्थागत प्रसव के बढ़ते आंकड़ों के आधार पर 15 अगस्त 17 को इसे आदर्श पीएसची का तमगा दिया। इसके तहत गर्भवती एवं अन्य मरीजों को 37 प्रकार की विशेष नि:शुल्क जांचों का प्रावधान है। इसे लेकर विभाग ने यहां पर कार्यरत चिकित्सक को एक दिवसीय प्रशिक्षण भी दिलाया, परंतु अब तक जांच के लिए उपयोग में आने वाली मशीनें सहित अन्य संसाधन नहीं मिलने से गर्भवती माताओं एवं अन्य मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
रामसौर. प्राथमिक स्वास्थ केंद्र जसेला को एंबुलेंस की दरकार है। यहां पर करीबन चालीस से पचास प्रसव हर माह होते हैं। मरीज की गंभीर स्थिति होने पर रैफर करने के दौरान तकलीफ होती है। संस्थागत प्रसव के बढ़ते आंकड़ों के आधार पर 15 अगस्त 17 को इसे आदर्श पीएसची का तमगा दिया। इसके तहत गर्भवती एवं अन्य मरीजों को 37 प्रकार की विशेष नि:शुल्क जांचों का प्रावधान है। इसे लेकर विभाग ने यहां पर कार्यरत चिकित्सक को एक दिवसीय प्रशिक्षण भी दिलाया, परंतु अब तक जांच के लिए उपयोग में आने वाली मशीनें सहित अन्य संसाधन नहीं मिलने से गर्भवती माताओं एवं अन्य मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
परिसर में खरपतवार
बारह कमरों में संचालित इस पीएचसी परिसर के चारों और घास फूस उग आई है। ऐसें में रात के समय में जीव जंतुओं का भय बना रहता है। खिड़कियों के रोशनदान भी टूट जाने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भवन में स्थित मेन स्वीच के वायर भी खुले पड़े हुए व लेबर रूम में भी स्वीच के वायर खुले हैं।
बारह कमरों में संचालित इस पीएचसी परिसर के चारों और घास फूस उग आई है। ऐसें में रात के समय में जीव जंतुओं का भय बना रहता है। खिड़कियों के रोशनदान भी टूट जाने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भवन में स्थित मेन स्वीच के वायर भी खुले पड़े हुए व लेबर रूम में भी स्वीच के वायर खुले हैं।