वे कैसे भागे, इसके जवाब देने में अधिकारी भी ज्यादा जानकारी देने से बच रहे हैं। Rajasthanpatrika.com की ओर से कुछ अधिकारियों से संपर्क साधा गया तो सामने आया कि जो बच्चे भागे हैं वो अपने कामों में बड़े शातिर थे। लेकिन सुधार गृह में उनके मुताबिक सिक्योरिटी के इंतजाम नहीं है। पुलिस ने कुछ माह पहले भागे एक किशोर को पकड़कर शुक्रवार को ही किशोर गृह भिजवाया था, कुछ घंटे बाद वह वापस भाग निकला।
भागने वाले बाल अपचारियों की उम्र 18 से कम और 16 वर्ष अधिक बताई जाती है। जिस कमरे में किशोर थे, वहां पर सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे थे। गौर करने वाली बात है कि भागने वाले किशोरों की गृह कर्मियों के पास फोटो भी नहीं मिली और ना ही उनके नाम के दस्तावेज। कर्मचारी भागने वाले किशोरों के नाम जुटाते नजर आए।
लापरवाही है जिम्मेदार?
बता दें कि कुछ माह पहले इसी गृह से 16 बच्चे भाग गए थे। जिनमें करीब 15 बच्चों को पुलिस ने बड़ी मशक्कत से पकड़ा था। वारदात के समय क्या कोई वहां अधिकारी नहीं था? ऐसे तमाम सवाल फिर गूंज उठेंगे। भागने वालों में पिछली बार भागे एक बालअपचारी को शुक्रवार को पकड़ पुलिस ने सौंपा था। लेकिन पुलिस ही बोल रही है कि बच्चे स्ट्रांग निकले और यहां सुरक्षा बहुत कमजोर।
मनोचिकित्सालय की दीवार फांद रफूचक्कर
माना जा रहा है कि कि शोर गृह से भागने वाले बाल अपचारियों ने सुधार गृह के पीछे स्थित मनोचिकित्सालय की तरफ दीवार में दो फीट बड़ा छेद किया और वहीं से भागे। काफी देर तक कमरे से कोई हलचल सुनाई नहीं दी, तब सिक्योरिटी गार्ड ने चेक किया तो घटना का पता चला।
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