टायर निकलने का कारण बस के एक्सल का टूटना बताया जा रहा है। गनीमत रही की बस पलटी नहीं इससे बड़ा हादसा होने से टल गया। घटना के समय बस में छोटे-छोटे बच्चे सवार थे। कई बच्चों को चोटे भी आई। यकायक हुए हादसे में बस में सवार बच्चें सहमकर रोने लगे। बच्चों के रोने की आवाजे सुन आस-पास के ग्रामीण एकत्र हो गए।
परिजनों का फूटा आक्रोश
चलती बस का टायर निकलने व खडï्ढे में बस उतर जाने की घटना के बाद भी स्कूल प्रशासन ने परिजनों को सूचना नहीं दी। जैसे ही हादसे की जानकारी मिली बड़ी संख्या में परिजन स्कूल पहुंचे व आक्रोश जताया। डरे सहमे बच्चों को परिजन अपने साथ ले जाकर चिकित्सक को दिखाया। हालांकि, बच्चों को कोई गंभीर चोटें नहीं आई हैं। ऐसे में अभिभावकों ने राहत की सांस ली।
चलती बस का टायर निकलने व खडï्ढे में बस उतर जाने की घटना के बाद भी स्कूल प्रशासन ने परिजनों को सूचना नहीं दी। जैसे ही हादसे की जानकारी मिली बड़ी संख्या में परिजन स्कूल पहुंचे व आक्रोश जताया। डरे सहमे बच्चों को परिजन अपने साथ ले जाकर चिकित्सक को दिखाया। हालांकि, बच्चों को कोई गंभीर चोटें नहीं आई हैं। ऐसे में अभिभावकों ने राहत की सांस ली।
फिटनेस की खुली कलई
आरटीई प्रावधानों के मुताबिक बाल वाहनियों का हर साल फिटनेस करवाने की बाध्यता है। इसमें स्कूल प्रशासन के साथ ही शिक्षा महमके एवं आरटीओ ऑफिस की भी अपनी जिम्मेदारी है। लेकिन, यह सब खानापूर्ति में ही निपटाया जा रहा है। हालात, यह है कि कई बाल वाहनियां तो बिना फिटनेस के ही चल रही हैं।
आरटीई प्रावधानों के मुताबिक बाल वाहनियों का हर साल फिटनेस करवाने की बाध्यता है। इसमें स्कूल प्रशासन के साथ ही शिक्षा महमके एवं आरटीओ ऑफिस की भी अपनी जिम्मेदारी है। लेकिन, यह सब खानापूर्ति में ही निपटाया जा रहा है। हालात, यह है कि कई बाल वाहनियां तो बिना फिटनेस के ही चल रही हैं।
हालात, यह है कि शहरी क्षेत्र में संचालित कई बड़े स्कूलों में ग्रामीण क्षेत्रों से बच्चों को लाने के लिए छोटी गाडिय़ां कर रखी है। यह गाडिय़ां जान-जोखिम में डाल सुबह के सत्र में तेज रफ्तार में दौड़ती हैं। जागरूक लोग स्कूल प्रशासन को भी अवगत कराते हैं। लेकिन, भारी-भरकम फीस वसूलने में लगे स्कूल संचालक यह हमारी जिम्मेदारी नहीं कर पल्ला झाड़ देते हैं। कई स्कूल संचालकों ने ऑटो कर रखे हैं। इन ऑटो में क्षमता से अधिक बच्चों को भी बिठाया जा रहा है।