वन्यजीव गणना: डूंगरपुर में पैंथर हुए दुगुने, मोर रह गए आधे
- भेडिया, चिंकारा के बाद अब जंगली बिल्ली और बड़ा बिज्जु भी लुप्त होने के कगार पर
डूंगरपुर
Updated: June 11, 2022 11:26:46 am
डूंगरपुर.
वन्यजीव प्रेमियों के लिए काफी दु:ख भरी खबर आई है। लगातार हो रहे वनों के हृास और जंगलों में मानवीय दखल के चलते डूंगरपुर जिले में वन्यजीवों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज हुई है।
कोविड काल के चलते दो साल बाद गत माह 16 मई को बुद्ध पूर्णिमा पर हुई वाटर हॉल आधारित वन्यजीव गणना-२०२२ के मुताबिक जिले में पैंथर की संख्या तो पिछली बार की तुलना में दुगुनी हुई, लेकिन बाकी सभी जानवर कम हो गए हैं। राष्ट्रीय पक्षी मोर तो पिछली बार की तुलना में आधे रह गए हैं। वहीं लोमड़ी, सियार, सेही और नीलगाय जैसे जानवरों की संख्या तो पिछले वर्षों की तुलना में एक चौथाई रह गई है। जिले से भेडिया व चिंकारा तो बहुत पहले ही लुप्त हो चुके थे, अब जंगली बिल्ली और बिज्जु जैसे जानवर भी गिनती के रह गए हैं।
पैंथर हुए ४८, भोजन का संकट
डूंगरपुर जिले में पैंथर (बघेरा) की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष २०१९ में जहां जिले में २९ पैंथर गणना में चिन्हित हुए थे, वहीं इस बार इनकी संख्या ४८ दर्ज हुई है। गौरतलब है कि 10 वर्ष पूर्व वर्ष २०१२ में जिले में दो पैंथर चिन्हित हुए थे। इसके बाद वर्ष २०१३ और २०१४ में एक भी पैंथर नहीं नजर आया था। वर्ष २०१५ से इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इससे वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह है, लेकिन जंगल में छोटे जानवरों की लगातार होती कमी के चलते पैंथर जैसे बड़े मांसाहारियों के भोजन का संकट भी गहरा रहा है। यही वजह है कि उनका मुवमेंट आबादी क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है।
शिकार पर नकेल नहीं, आधे रह गए मोर
डूंगरपुर जिला राष्ट्रीय पक्षी मोर की दृष्टि से काफी समृद्ध रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पौ फटते ही खेत-खलिहानों में आने वाले मोरों की आवाज से लोगों का सवेरा होता था, लेकिन बेधडक़ हो रहे शिकार के चलते मोरों की संख्या में काफी गिरावट आई है। वर्ष २०१९ में जहां जिले में ५६१५ मोर थे, वहीं इस बार इनकी संख्या २५५२ ही दर्ज हो पाई है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों ओबरी क्षेत्र के घाटा का गांव के समीप मोरों के शिकार की वारदात सामने आई थी। अपनी तरह की गंभीर घटना के बावजूद वनविभाग की सुस्ती भी उजागर हुई थी।
३५ में से सिर्फ १४ दिखे
वन विभाग ने मांसाहारी, शाकाहारी, पक्षी वर्ग और सरीसर्प वर्ग के कुल ३५ तरह के वन्यजीवों को गणना में शामिल किया था। इनमें से डूंगरपुर जिले में मात्र १४ तरह के ही वन्यजीव नजर आए।
नीलगाय, लोमड़ी, सेही व सियार घटे
इस बार की गणना में नीलगाय, लोमड़ी, सेही, सियार आदि जानवरों की संख्या में भारी कमी दर्ज हुई है। जिले वर्ष २०१९ में नीलगाय २५४७ थी, वहीं इस बार मात्र ६५७ पाई गई। लोमडिय़ां वर्ष २०१९ में १६५ थी जो अब सिर्फ ५० रह गई हैं। सेही की संख्या भी १३२ से घट कर ४० और सियार की संख्या २५१ से घट कर ४८ रह गई है।
. . तो विलुप्त हो जाएंगे
डूंगरपुर जिले में कुछ सालों पहले तक भेडिया, राज्य पशु चिंकारा जैसे भी वन्यजीवों की भी उपस्थिति थी, लेकिन समय के साथ वे विलुप्त हो गए। वहीं अब अन्य वन्यजीव भी लुप्त होने के कगार पर हैं। जंगली बिल्लियां वर्ष २०१९ में ११३ थी, जो मात्र १४ रह गई हैं। वहीं बिज्जुओं की संख्या ७२ से घट कर ४२ रह गई है। इसमें भी बड़े बिज्जु तो सिर्फ दो ही शेष हैं।

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