दिल और कान पर प्रभाव
आपको जानकर आश्चर्य होगा की अंतरिक्ष में दिल प्रभावित होता है और उसकी पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। साथ ही उसका आकार भी हल्का सा सिकुड़कर गोलाकार हो जाता है। हवीं, कान का अंदरूनी हिस्सा पूरी तरह से अपना काम नहीं कर पाता है। इस कारण अंतरिक्ष में लगभग 2 दिनों तक अंतरिक्षयात्रियों को मोशन सिकनेस से जूझना पड़ता है।
ग्रेविटी का प्रभाव
पृथ्वी पर ग्रेविटी के प्रभाव के कारण मनुष्य के शरीर में उपस्थित तरल पदार्थ ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होता है। लेकिन अंतरिक्ष में ग्रेविटी का प्रभाव उल्टा दिखने लगता है जिस कारण जब वापस आते हैं तो वे गोल दिखाई देते हैं।
गिर जाते हैं नाखून
अंतरिक्षयात्रियों के नाखून गिर सकते हैं।
रेडिएशन का खतरा
पृथ्वी की अपेक्षा अंतरिक्ष में अधिक रेडिएशन का सामना करना पड़ता है जिसके चलते यात्रियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
लंबाई बढ़ जाती है लेनिक नजर कमजोर हो जाती है
माना जाता है कि अंतरिक्ष में जाने पर व्यक्ति की लंबाई कुछ इंच तक बढ़ जाती है। ऐसा अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होने के कारण होता है। वहीं, ज्यादा समय तक रहने पर अंतरिक्षयात्रियों की आंखों में कमजोरी आ सकती है। इस नेत्रदोष को विजुअल इम्पेयरमेंट प्रेशर सिंड्रोम (VIIP) कहते हैं।