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सेतराऊ का एक धोरा सुनाता है संगीत, नहीं पता चला कारण

Published: Jan 29, 2016 09:35:00 am

धोरे की रेत आपस में टकराने पर बजता है संगीत, भू-वैज्ञानिक अचंभित

Setrao Barmer

Setrao Barmer

बाड़मेर। धोरों की धरती बाड़मेर में माटी के झरने जितने आकर्षक रहे हैं, उतना ही रहस्यमयी है यहां के सेतराऊ गांव का एक धोरा, जिसकी रेत टकराते ही वाद्य यंत्र जैसी आवाज करती है। यह करिश्मा क्यों है, इस विषय पर भूगोल और भू-गर्भ के विशेषज्ञों की भी समझ जवाब दे जाती है, लेकिन वे मानते हैं कि इस धोरे का फार्मेशन (निर्माण) एेसा है कि रेत आवाज कर सकती है।

सेतराऊ गांव के तीन तरफ पहाडि़यां हैं। इसके बीच में कमांडेंट कल्याणसिंह के खेत में यह धोरा है, जो उनके पथरीली जमीन पर बने पैतृक मकान के ठीक पीछे है। इस धोरे का आकर्षण इसकी रेत का संगीत। इस धोरे की रेत को जैसे ही आपस में टकराते हैं या इस पर दौड़ते हैं तो भपंग जैसी आवाज निकलने लगती है। एेसे लगता है जैसे ‘रेत कुछ कहना’ चाहती है। गांव के लोग जमाने से आवाज को सुन रहे हैं।

यह है भौगोलिक विशेषता

करीब 15 साल पहले इस रेत के नमूने जांच को भेजे गए थे, लेकिन कोई ठोस वजह सामने नहीं आ सकी। भू वैज्ञानिकों के अनुसार प्रथम दृष्टया यह नजर आता है कि रेगिस्तान से उड़ती हुई यह रेत पहाडि़यों से टकराकर यहां जमा होती गई और धोरे का निर्माण हुआ। यहां निकट में ग्रेनाइट का पत्थर भी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि कहीं न कहीं इसमें रेत के साथ अन्य तत्वों का मिश्रण होता गया, जो भौतिक विज्ञान के अनुनाद और प्रतिध्वनि के सिद्धांत को अपना रहा है।

अब तक नहीं पता चला कारण

इस रेत की जांच होती है तो प्रतिध्वनि और अनुनाद के सिद्धांत का कहीं न कहीं कारण होगा। इस धोरे का निर्माण, पास की पहाडि़यां और रेत में कौन-कौन से कण हैं, यह महत्व रखेगा। – एपी गौड़, सचिव, जियोलॉजी एलुमनी एसोसिएशन

यह हमारे गांव की अनमोल थाती है। संगीत देने वाले इस धोरे को जमाने से सुनते आ रहे हैं। कारण क्या है, इसका किसी को पता नहीं है, लेकिन हम गर्व से कहते हैं कि हमारे गांव आओ, यहां तो रेत भी गाती है। – जितेन्द्रसिंह सेतराऊ, सदस्य, इंटेक चेप्टर
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