खरीफ में 9300 टन की जरूरत
जिले में खरीफ के सीजन में 9300 टन डीएपी की जरूरत होती है। इसके विरूद्ध जिले को केवल 4752 डीएपी ही केंद्र से मिल पाया है। जिले में 891 टन डीएपी पहले से ही था। इस तरह 5643 टन में 5571 टन डीएपी का वितरण किसानों को किया जा चुका है। इस तरह केंद्र से कम से कम 2706 टन डीएपी और मिलना है।
प्राइवेट दुकानों में भी केवल 100 टन
सरकारी कोटे के अलावा प्राइवेट दुकानों में भी खाद विक्रय होता है। इसके लिए कोटा फिक्स है। 60 फीसदी खाद सरकारी कोटे में जाता है, वहीं 40 फीसदी प्राइवेट सप्लायर को मिलता है। जानकारी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय संकट का प्राइवेट सप्लाई पर भी है। जिले के 5 से 6 प्राइवेट दुकानों में ही डीएपी है, वह भी महज 100 टन के करीब।
सुफा और यूरिया का दे रहे विकल्प
डीएपी संकट से निपटने प्रशासन द्वारा सुपर फास्फेट और यूरिया के मिक्स उपयोग का विकल्प दिया जा रहा है। अफसरों की माने तो 3 बैग सुपर फास्फेट और एक बैग यूरिया इतनी मात्रा के डीएपी का कार्य करने में सक्षम है। इसमें सल्फर का भी विकल्प मिलता है, जिससे फसल को फायदा होता है। सुपर फास्फेट की लोकल सप्लाई है, वहीं यूरिया का पर्याप्त स्टॉक जिले में मौजूद है।
इधर भाजपा का आंदोलन का ऐलान
जिले में डीएपी संकट पर भाजपा ने आंदोलन का ऐलान किया है। एक दिन पहले भाजपा नेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए सात दिन की मोहलत दी है। ऐसा नहीं होने की सूरत में 22 जुलाई को सोसायटियों में ताला लगा देने की भी चेतावनी दी गई है।