पट्टेदार नहीं तो आश्रित को पट्टा
योजना की खास बात यह है कि जो पट्टेदार अब जीवित नहीं हैं, उनके आश्रितों के नाम पर पट्टे रिन्यूअल किए जाएंगे। इसके अलावा जिनका पट्टा से अतिरिक्त निर्माण हो गया है अथवा जिन्होंने पट्टे वाली जमीन की खरीदी बिक्री कर ली उन्हें भी पट्टा दिया जाना है।
यह दस्तावेज जरूरी
जमीन के प्रकार के हिसाब से आवेदन के चार प्रारूप तैयार किए गए हैं। निर्धारित प्रारूम में आवेदनों के साथ पट्टे की छायाप्रति, खरीदी बिक्री स्टाम्प, राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, फोटो जमा कराना होगा। कब्जे के मामले में 19 नवम्बर 2018 से पहले कब्जा प्रमाणित करने जलकर, संपत्तिकर की रसीद जमा करना होगा।
2015 में किया गया था सर्वे
इससे पहले पूर्ववर्ती रमन सरकार ने भी वर्ष 2015 में वर्ष 1984 के पट्टों का नवीनीकरण का अभियान शुरू किया था। इसके लिए पटवारियों को पट्टाधारियों के पते पर भेजकर सर्वे भी कराया गया था, लेकिन इस दौरान अधिकतर पट्टेधारी कब्जे वाले जगह से गायब मिले थे। जमीन पर दूसरों का कब्जा था अथवा स्वरूप बदल जाने से पहचान मुश्किल हो रही थी। इसके चलते यह योजना अधर में चला गया था।
भिलाई में सबसे ज्यादा हितग्राही
वर्ष 1984 में जिले में 31 हजार 926 हितग्राहियों को पट्टा दिया गया था, इनमें से सर्वाधिक करीब 26 हजार पट्टाधारी भिलाई क्षेत्र के हैं। दरअसल पट्टा जारी करने के दौरान भिलाई नगर निगम के बजाए साडा के रुप में स्वतंत्र इकाई था, लिहाजा इस दौरान चहेतों को उपकृत करने की नीयत से प्रभावी लोगों के द्वारा जमकर पट्टे बांटे गए।
करना होगा आवेदन
डिप्टी कलक्टर अरुण वर्मा ने बताया कि शासन के निर्देश के मुताबिक पट्टों का नवीनीकरण किया जाना है। इसके लिए सभी निकायों में शिविर लगाकर आवेदन लिए जाएंगे। इसके लिए निगम के कर्मचारियों के साथ राजस्व अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है।