घटना के तीन दिन बाद मासूम के पेट में दर्द ऊठा। परिवार वालों ने पेट दर्द की वजह पूछा। इसके बाद मासूम घबरा गई। उसने घटना की जानकारी पहले अपने चाचा चाची को दी। इसके बाद घटना की जानकारी पीडि़त छात्रा की मां को हुई। परिवार में चर्चा करने के बाद छात्रा को लेकर 4 सितंबर को थाना पहुंची और आरोपी के खिलाफ एफआईआर कराया।
सुनवाई के दौरान न्यायालय में परिजनों के अलावा 8 गवाहों का बयान दर्ज किया गया। सभी ने घटना का समर्थन किया। जिसे आधार बनाते हुए न्यायालय ने फैसला सुनाया। मेडिकल रिपोर्ट भी आरोपी के खिलाफ था। इसके बाद भी न्यायालय ने आरोपी को बचाव साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया, लेकिन आरोपी ने बचाव साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया।
फैसले में न्यायाधीश ने कहा आरोपी द्वारा जुर्माना राशि जमा किए जाने पर उसे पीडि़त मासूम को प्रतिकर के रुप में देने का आदेश दिया है। वहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र भी लिखा है। जिसमें पुनर्वास के लिए शासन की योजना के तहत राशि उपलब्ध कराए जाने का उल्लेख किया है।