काम शुरू होते ही लेटलतीफी
खास बात यह है कि ठगड़ा बांध के सौंदर्यीकरण का काम प्रारंभ से ही लेटलतीफ चल रहा है। हालात यह रहा कि ठेकेदार ने बांध का पानी खाली कराने में ही कई महीने लगा दिए। इसके बाद जलकुंभियों को हटाने में देरी की गई। अब काम कई दिनों तक बंद रहा, लेकिन न तो जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दे रहे और निगम के अफसरों ने ठेकेदार को तलब किया है।
अब भी बता रहे भुगतान में विलंब
मामले में खास बात यह है कि निगम प्रशासन द्वारा ठेकेदार को बचाने कोई भी गुरेज नहीं किया जा रहा है। काम की मियाद खत्म हो कर आठ माह बीत चुका है और निगम प्रशासन द्वारा ठेकेदार को 60 फीसदी काम के बाद भी 89 फीसदी राशि दिया जा चुका है। फिर काम में देरी के लिए कोरोना के कारण लॉकडाउन और भुगतान में विलंब को कारण बताया जा रहा।
विधानसभा में उठ चुका है मामला
ठगड़ा बांध के सौंदर्यीकरण में देरी का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। विधायक अरुण वोरा ने बजट सत्र में यह मामला उठाया था। इसमें निगम की ओर से जवाब भी दिया गया है। इसमें 60 फीसदी काम होने सहित भुगतान की जानकारी दी गई है। जवाब में काम में देरी होना स्वीकार किया गया है, लेकिन काम कब तक पूरा हो पाएगा स्थिति अस्पष्ट है।
इधर एक दर्जन वार्डों में गिर रहा जलस्तर
ठगड़ा बांध में देरी का खामियाजा इसके कारण जल स्तर में गिरावट के रूप में भुगतना पड़ रहा है। ठगड़ा बांध से आसपास के 12 वार्डों का ग्राउंड वाटर लेबल मेंटेन रहता है, लेकिन दो साल से बांध खाली होने के कारण ग्राउंड वाटर लेबल काफी नीचे चला गया है। इससे इन वार्डों के हैंडपम्पों और नलकूपों में धार पतली होने लगी है। वहीं आसपास के लोग निस्तारी की समस्या से भी जूझ रहे हैं।