आंदोलन कारी अधिवक्ताओं का कहना था कि खुर्सीपार पुलिस अधिवक्ता त्रिभूवन लाल चौधरी व उसके दो बेटे अभितेश व अभिलेश को सुबह 11 बजे से गिरफ्तार कर थाना में रखी थी। गिरफ्तारी के बाद नियमत: पुलिस को संदेहियों को न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिए, लेकिन पुलिस न्यायालय में प्रस्तुत नहीं कर रही थी। बार बार संपर्क करने के बाद भी पुलिस कई तरह की बहाने बना रही थी। इसी बात को लेकर अधिवक्ता सदस्य एक जुट हुए और नारेबाजी करते हुए पटेल चौक पहुंचे। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अधिवक्ताओं ने जीईमार्ग को अवरुद्ध कर दिया। पुलिस के उच्च अधिकारियों की समझाईश के बाद मामला जैसे तैसे शांत हुआ। हालाकि न्यायालय ने बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने संदेहियों को जमानत पर रिहा कर दिया।
एकपक्षीय कार्रवाही
वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिभुवन लाल चौधरी ने बताया कि शुक्रवार की सुबह कुछ लोग उनके निवास के सामने सड़क किनारे पौध रोपण कर रहे थे। मुरमी मार्ग पर पौध रोपण नहीं करने की बात को लेकर मामूली बहस हुई थी। इसके बाद उनका परिवार शांत हो गया।थोड़ी देर बाद कुछ लोगों ने घर आकर मारपीट की। जिसकी शिकायत उन्होंने थाना पहुंचकर की थी, लेकिन बाद में मालूम हुआ कि उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर छेडख़ानी की धारा के तहत पुलिस ने उलटा एफआआईर कर लिया था।