इस मामले को दबाने के लिए नगर निगम भिलाई के आरआई जय कुमार जैन ने 50 हजार की डिमांड की थी। एसीबी ने जैन व उसके सहयोगी पटवारी पतिराम बरेठ को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। दोनों को रिश्वत की मांग करने और रिश्वत लेने के आरोप में 3-3 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 2-2 हजार रुपए जुर्माना किया।
इसके बाद निगरानी समिति से एसीबी ने अभियोजन स्वीकृति लेने के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। 9 साल बाद न्यायालय ने प्रकरण पर 13 अप्रैल 2018 को फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने रिश्वतखोर तहसीलदार को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
बाद में सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने न्यायालय में यह कहते हुए पक्षद्रोह हो गया कि रिश्वत शम्भुनारायण सिंह ने मांगी थी। इस आधार पर न्यायालय ने ननकु सिंह को दोषमुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि घटना के बाद पुलिस विभाग ने एएसआई के उम्र और अपराध को ध्यान में रखते हुए एएसआई का नाम अनिवार्य सेवानिवृत्त की सूची में डाल दिया था।
विशेष लोक अभियोजक, एसीबी विजय कसार ने बताया कि भ्रष्टाचार के प्रकरणों का त्वरित निराकरण करने के लिए जिला न्यायालय में 4 कोर्ट हैं। प्रकरणों की सुनवाई में तेजी है। इस वर्ष अब तक 26 प्रकरणों पर फैसला आ चुका है। केवल 11 प्रकरण ही विचाराधीन हैं। प्रकरण पर फैसला आने के पहले एएसआई सेवानिवृत्ति ले चुका था।