वहीं 10 प्रकरणों में अपराध सिद्ध नहीं होने पर न्यायालय ने लोकसेवकों को दोषमुक्त कर दिया। हालांकि विशेष लोक अभियोजकों ने इन प्रकरणों में आए फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने विधि विभाग को पत्र लिखा है। शिवाजी नगर कोहका निवासी चंदेश्वर सिंह की पत्नी कुसुम देवी ठाकुर ने मकान बनाने भवन अनुज्ञा ली थी, लेकिन मकान उसके अनुसार नहीं बनाया। जांच में अतिरिक्त निर्माण का खुलासा हुआ।
मामले को दबाने के लिए 50 हजार की डिमांड
इस मामले को दबाने के लिए नगर निगम भिलाई के आरआई जय कुमार जैन ने 50 हजार की डिमांड की थी। एसीबी ने जैन व उसके सहयोगी पटवारी पतिराम बरेठ को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। दोनों को रिश्वत की मांग करने और रिश्वत लेने के आरोप में 3-3 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 2-2 हजार रुपए जुर्माना किया।
इस मामले को दबाने के लिए नगर निगम भिलाई के आरआई जय कुमार जैन ने 50 हजार की डिमांड की थी। एसीबी ने जैन व उसके सहयोगी पटवारी पतिराम बरेठ को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। दोनों को रिश्वत की मांग करने और रिश्वत लेने के आरोप में 3-3 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 2-2 हजार रुपए जुर्माना किया।
2009 में एसीबी ने दुर्ग तहसीलदार चंद्रेश साहू को 5000 रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इस प्रकरण में एसीबी को कोर्टमें अभियोग पत्र प्रस्तुत करने पांच वर्ष लग गए। दरअसल राजस्व विभाग ने चंदे्रश साहू के खिलाफ मुकदमा चलाने अभियोजन स्वीकृति ही नहीं दी। मामला सुप्रीम कोर्टतक गया।
सश्रम करावास की सजा सुनाई
इसके बाद निगरानी समिति से एसीबी ने अभियोजन स्वीकृति लेने के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। 9 साल बाद न्यायालय ने प्रकरण पर 13 अप्रैल 2018 को फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने रिश्वतखोर तहसीलदार को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
इसके बाद निगरानी समिति से एसीबी ने अभियोजन स्वीकृति लेने के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। 9 साल बाद न्यायालय ने प्रकरण पर 13 अप्रैल 2018 को फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने रिश्वतखोर तहसीलदार को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
2015 में एसीबी के अधिकारियों ने सिटी कोतवाली दुर्ग में पदस्थ एएसआई ननकू सिंह को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।इस प्रकरण में खास बात यह है कि शिकायकर्ता ने आवेदन में एएसआई का नाम शम्भुनारायण सिंह लिखा था। गिरफ्तारी के बाद प्रार्थी की पहचान पर पुलिस ने शम्भुनारायण सिंह के नाम के साथ उर्फ ननकू सिंह का उल्लेख किया।
कोर्ट ने कर दिया दोष मुक्त
बाद में सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने न्यायालय में यह कहते हुए पक्षद्रोह हो गया कि रिश्वत शम्भुनारायण सिंह ने मांगी थी। इस आधार पर न्यायालय ने ननकु सिंह को दोषमुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि घटना के बाद पुलिस विभाग ने एएसआई के उम्र और अपराध को ध्यान में रखते हुए एएसआई का नाम अनिवार्य सेवानिवृत्त की सूची में डाल दिया था।
बाद में सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने न्यायालय में यह कहते हुए पक्षद्रोह हो गया कि रिश्वत शम्भुनारायण सिंह ने मांगी थी। इस आधार पर न्यायालय ने ननकु सिंह को दोषमुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि घटना के बाद पुलिस विभाग ने एएसआई के उम्र और अपराध को ध्यान में रखते हुए एएसआई का नाम अनिवार्य सेवानिवृत्त की सूची में डाल दिया था।
11 प्रकरण विचाराधीन
विशेष लोक अभियोजक, एसीबी विजय कसार ने बताया कि भ्रष्टाचार के प्रकरणों का त्वरित निराकरण करने के लिए जिला न्यायालय में 4 कोर्ट हैं। प्रकरणों की सुनवाई में तेजी है। इस वर्ष अब तक 26 प्रकरणों पर फैसला आ चुका है। केवल 11 प्रकरण ही विचाराधीन हैं। प्रकरण पर फैसला आने के पहले एएसआई सेवानिवृत्ति ले चुका था।
विशेष लोक अभियोजक, एसीबी विजय कसार ने बताया कि भ्रष्टाचार के प्रकरणों का त्वरित निराकरण करने के लिए जिला न्यायालय में 4 कोर्ट हैं। प्रकरणों की सुनवाई में तेजी है। इस वर्ष अब तक 26 प्रकरणों पर फैसला आ चुका है। केवल 11 प्रकरण ही विचाराधीन हैं। प्रकरण पर फैसला आने के पहले एएसआई सेवानिवृत्ति ले चुका था।