किसान बालाराम साहू ने बताया कि उसकी पुरई में पुश्तैनी जमीन है। जिसका फर्द बंटवारा हो चुका है लेकिन खाता अभी भी समिलात है। इस जमीन के अतिरिक्त उसके पास साढ़े 6 एकड़ जमीन है। जिस पर इस बार उसने धान की खेती की है। पारिवारिक जमीन विवाद के कारण उसके चाचा के लड़के हर बार धान बिक्री के समय इसी तरह फर्जी शिकायत करते हैं। इस पर जांच के बिना धान बिक्री पर रोक लगा दी जाती है। पिछली बार भी इसी तरह रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद स्थिति स्पष्ट करने व कई चक्कर लगाने के बाद तहसीलदार ने धान बिक्री की अनुमति दी थी। इस बार भी इसी तरह की शिकायत पर बिना उसके पक्ष सुने एसडीएम ने धान बिक्री पर रोक लगा दी है। जिससे वह आहत है।
बालाराम साहू ने बताया कि उसने धान बिक्री के लिए 16 दिसंबर का टोकन लिया था। इस बीच अचानक 14 दिसबर को एसडीएम ने उसके धान की बिक्री पर रोक लगा दी। धान बिक्री पर रोक लगाने के संबंध में उन्हें कोई भी ठोस वजह नहीं बताया जा रहा है। एसडीएम द्वारा केवल धान नहीं लेने की बात कही जा रही है।
किसान बालाराम ने बताया कि जिस जमीन की धान खरीदी पर रोक लगाई गई है। उसी पर उसका समिति में 95 हजार रुपए कर्ज है। यदि खेती में कोई दिक्कत थी तो कर्ज पर भी रोक लगाया जाना चाहिए था। धान बिक्री के बिना वह कर्ज भी नहीं लौटा पाएगा। किसान का आरोप है कि शिकायतकर्ताओं से मिलीभगत कर उसे परेशान करने धान खरीदी पर रोक लगाई गई है।
किसान बालाराम साहू ने बताया कि उक्त परेशानी की जानकारी उन्होंने किसान संगठनों को भी दी है। संगठनों के नेताओं ने उन्हें धान बिक्री नहीं होने की स्थिति में कलेक्टर के सुपुर्द कर देने की सलाह दी है। इस पर अमल करते हुए किसान नेताओं की मौजूदगी में 17 जनवरी को धान कलेक्टोरेट में कलेक्टर के सुपुर्द कर दिया जाएगा।