दोबारा चेक नहीं दिया जारीकर्ता
इसके बाद मुकेश ने चेक जारीकर्ता से संपर्क कर पुन: चेक जारी करने का निवेदन किया, लेकिन उसने इंकार कर दिया। जिसके बाद प्रकरण को जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष पेश किया गया था। फोरम ने मामला स्वीकार करते हुए दोनों पक्षों की सुनवाई शुरू की।
माना मामला सेवा में कमी का
प्रकरण पर विचारण पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक प्रबंधन द्वारा अपनाई गई इस कार्यप्रणाली को सेवा में निम्नता की श्रेणी में माना। फोरम ने बैंक प्रबंधक को एक माह की अवधि में चेक की राशि 82 हजार 280 का ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही इससे खाताधारक को हुई मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार व वाद व्ययकी राशि 1 हजार भुगतान किए जाने का निर्देश दिया है।