सांसद विजय बघेल ने प्रत्याशी थोपने के बजाए कार्यकर्ताओं की पसंद पर ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बाहरी प्रत्याशियों जैसे सवाल दुर्ग से ही ज्यादा उठते रहे हैं और यहां के कार्यकर्ताओं की पीड़ा भी है। इसलिए इस चुनाव में इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
बैठक में सभी नेताओं को सुझाव रखने का अवसर दिया गया। पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, सुरेंद्र पाटनी, राजेश ताम्रकार, ईश्वर शर्मा, संतोष अग्रवाल, कांशीनाथ शर्मा व रमन यादव सहित एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने सुझाव रखे। लगभग सभी ने टिकट वितरण में भेदभाव का मामला उठाया।
कार्यकर्ताओं की ओर से सांसद विजय बघेल ने भी बातें रखी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय नेतृत्व ने 11 सांसदों का टिकट काटकर मैदानी कार्यकर्ताओं को उतारा। इसका सकारात्मक नतीजा सामने आया। इसलिए पुराने पैटर्न से हटकर नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाना चाहिए।
बैठक में सुझावों के दौरान भेदभाव, भाई-भतीजावाद, परिवारवाद, बड़े नेताओं के एकाधिकार जैसे कई आरोप लगाए गए। इस दौरान नेताओं व कार्यकर्ताओं ने सीधे तौर पर किसी का भी नाम नहीं लिया, लेकिन अपरोक्ष रूप से उनका निशाना जिले में इससे पहले प्रभावी रहे नेताओं पर रहा।
सांसद बघेल ने संगठन चुनाव के मद्देनजर की गई नियुक्तियों पर भी जिले के नेताओं की खिंचाई की। सांसद होने के नाते नाम मांगे गए थे, लेकिन उनके नामों को दरकिनार कर राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय के समर्थकों की नियुक्ति कर दी गई। ऐसी प्रवृत्ति रही तो पार्टी के लिए विपरीत स्थिति बनती रहेगी।
चुनाव प्रदेश प्रभारी अग्रवाल ने कहा टिकट चयन का पैटर्न भी इस बार पिछली बार की तरह होगा। पार्षद व निचले स्तर के टिकट जिला स्तर पर तय किए जाएंगे। महापौर व अध्यक्षों के टिकट प्रदेश स्तर पर तय होगा। जिन टिकटों के फैसले में परेशानी होगी उन्हें अपील समिति के पास भेज दिया जाएगा।