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भारतमाला परियोजना: जमीन अधिग्रहण के नाम पर दुर्ग के हजारों किसानों से छल, अफसरों ने की मुआवजे की गणना में गड़बड़ी

locationदुर्गPublished: Jun 03, 2021 03:05:06 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

दुर्ग-रायपुर के बीच सिक्सलेन सड़क (Durg-Raipur six lane road) प्रस्तावित है। सड़क के लिए जिले के 26 गांव के 1349 किसानों की जमीन, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत अधिग्रहण किया जाना है।

भारतमाला परियोजना: जमीन अधिग्रहण के नाम पर दुर्ग के हजारों किसानों से छल, अफसरों ने की मुआवजे की गणना में गड़बड़ी

भारतमाला परियोजना: जमीन अधिग्रहण के नाम पर दुर्ग के हजारों किसानों से छल, अफसरों ने की मुआवजे की गणना में गड़बड़ी

दुर्ग. भारतमाला परियोजना (Bharatmala pariyojna) के लिए जमीन देने वाले दुर्ग ब्लॉक के किसानों (Farmer in Durg) के मुआवजे की गणना में एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। अफसरों ने प्रावधान के अनुरूप कलेक्टर दर से चार गुना की जगह आधी दर पर गणना के साथ परिसंपत्तियों के मूल्यांकन और जमीन के स्वरूप के चिन्हांकन में भी बड़ी चूक की है। अफसरों ने किसानों की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन ही नहीं किया। इतना ही नहीं कई किसानों के सिंचित जमीन को असिंचित और द्विफसली को एकफसली बता दिया है। इन गड़बडिय़ों से करीब 100 करोड़ का नुकसान किसानों को हो रहा है।
चार गुना देना था मुआवजा
भारतमाला परियोजना के तहत दुर्ग-रायपुर के बीच सिक्सलेन सड़क प्रस्तावित है। इस सड़क के लिए जिले के 26 गांव के 1349 किसानों की जमीन, भूमि अधिग्रहण अधिनियम ((land acquisition in durg)) 2013 और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत अधिग्रहण किया जाना है। प्रावधान के मुताबिक अधिग्रहण के लिए चिन्हित जमीन की तय कलेक्टर दर को दोगुना कर इतना ही हर्जाना जोड़कर यानि चार गुना मुआवजा दिया जाना है। इसके अलावा जमीन पर मौजूद परिसंपत्तियों जैसे पेड़, ट्यूबवेल, तारघेरा, मकान का मूल्यांकन कर अलग से मुआवजा दिया जाना है, लेकिन दुर्ग ब्लॉक के अफसरों ने 12 गांव के 635 किसानों की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन ही नहीं किया और 25 फरवरी 2019 को अवार्ड पारित कर दिया।
मुआवजा की गणना में इस तरह गड़बड़ी
0 दो दिन पहले ही एकतरफा अवार्ड
दुर्ग ब्लॉक के लिए अफसरों ने 25 फरवरी 2019 को अवार्ड पारित किया। जबकि इससे पहले ही किसानों की याचिका पर हाईकोर्ट ने 30 अक्टूबर 2018 को ही चार गुना मुआवजा का आदेश पारित कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में राज्य शासन ने भी 27 फरवरी 2019 को इस संबंध में विधानसभा में विधेयक पारित कर दिया था। इसके दो दिन पहले ही एक तरफा पुराने दर पर अवार्ड पारित कर दिया गया।
असिंचित व एकफसली से भी नुकसान
कलेक्टर गाइड लाइन में सिंचित-असिंचित, एक फसली-द्विफसली के आधार पर खेती की जमीन का मूल्यांकन का प्रावधान है। भूमि अधिग्रहण में इसी के अनुरूप जमीन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए, लेकिन अफसरों ने कई सिंचित रकबे को असिंचित और द्विफसली को एकफसली रकबा करार देकर मूल्य निर्धारण कर दिया है। किसानों के मुताबिक इससे भी किसानों को खासा नुकसान होगा।
दुर्ग को छोड़कर सभी जगह चार गुना
मामले में खास बात यह है कि भारतमाला परियोजना के लिए जिले के पाटन ब्लॉक और राजनांदगांव जिले के 2 गांव और रायपुर के अभनपुर तहसील के 15, आरंग के 6 गांवों के किसानों की भी जमीन अधिग्रहित की जा रही है। इनमें से दुर्ग और पाटन को छोड़कर सभी जगह सितंबर 2018 में ही जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। यहां के सभी किसानों को प्रावधान के अनुरूप चार गुना मुआवजा दिया गया है।
लामबंद किसान – बोले नहीं लेंगे मुआवजा
इधर मुआवजे की गणना में गड़बड़ी के खुलासे के बाद दुर्ग ब्लॉक के किसानों ने थनौद में आपात बैठक की। बैठक में किसानों ने मुआवजा के गणना में गड़बड़ी पर नाराजगी जाहिर की। किसानों ने कहा कि जल्द नए सिरे से गणना कर प्रावधान के अनुरूप जमीन का मूल्यांकन नहीं किया गया तो मुआवजा स्वीकार नहीं करेंगे। इसके अलावा जमीन पर कब्जा भी नहीं देंगे। बैठक में डॉ. राजेंद्र हरमुख, सियाराम निषाद, आशीष हरमुख, अर्जुन सिंह धनकर, रविंद्र कोसरे आदि मौजूद थे।
सीएम से गुहार, जाएंगे हाईकोर्ट
किसानों ने बैठक में कई अहम फैसले किए। इसके तहत सबसे पहले मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शिकायत का निर्णय किया गया। किसानों ने इसके लिए सीएम को पत्र भी प्रेषित किया है। इसके अलावा प्रत्यक्ष मुलाकात के लिए भी समय मांगा गया है। वहीं सीएम से शिकायत के बाद भी मामले का समाधान नहीं होने की सूरत में किसानों ने हाईकोर्ट जाने का ऐलान किया है।
किसानों को 100 करोड़ से ज्यादा नुकसान
सड़क के लिए दुर्ग ब्लॉक के 12 गांव के 635 किसानों की जमीन अधिग्रहित किया जाना है। नियम के अनुसार अधिग्रहण पर करीब 205 करोड़ से ज्यादा का भुगतान का अनुमान है, लेकिन मौजूदा गणना में किसानों को करीब 100 करोड़ ही मिल पाएगा। इस तरह करीब 100 करोड़ का नुकसान किसानों को हो रहा है। जेके वर्मा एडवोकेट व प्रभावित किसान ने बताया कि भू-अर्जन अधिकारी की लापरवाही के कारण मात्र दो गुना अवार्ड पारित हुआ है। जबकि पाटन, आरंग व अभनपुर के किसानों को चार गुना मुआवजा पारित हुआ है। पीडि़त किसान हाईकोर्ट की तैयारी कर रहे हैं। किसानों के भूमि व परिसम्पत्तियों, वृक्ष,तारघेरा, ट्यूबवेल आदि के मूल्याकंन में लापरवाही हुई है। भूमि का मूल्यनिर्धारण, कलेक्टर गाइड लाइन दर के अनुसार किए जाने का नियम है, इसमें मनमानी की गई है। मार्ग से जुड़ी जमीन को सिंचित, सिंचित को असिंचित और दो फसली की एक फसली की दर से मुआवजा गणना कर दिया गया है। अवार्ड पारित होकर तीसरा साल चल रहा है, परंतु अवार्ड सार्वजनिक प्रकाशन नहीं किया गया है। यह भी गंभीर लापरवाही है।

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