रसूखदार आरोपी को पुलिस वीआईपी की तरह निजी वाहन में लेकर गई कोर्ट
पुलिस एक बार फिर रसूखदार आरोपी को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के आरोपों में घिर गई है। आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस निजी वाहन में ले जाकर कोर्ट में पेश किया।

भिलाई.जिले की पुलिस एक बार फिर रसूखदार आरोपी को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के आरोपों में घिर गई है। आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस निजी वाहन में ले जाकर कोर्ट में पेश किया। कोर्ट परिसर में आरोपी संतोष सिंह बकायदा मोबाइल पर बतियाते रहे। इस संबंध में जब पुलिस के वाट्सअप ग्रुप डीएसआर में पत्रकारों ने सवालों की बौछार की तो उतई थाना प्रभारी जगदीश उईके ने ग्रुप में सफाई दी कि आरोपी को कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया गया है। इसके बाद भी सवाल जारी रहे, तो एसपी अमरेश मिश्रा ग्रुप से लेफ्ट हो गए। उनके लेफ्ट होते ही ग्रुप एडमिन एएसपी राजेश अग्रवाल ने ग्रुप तत्तकाल बंद कर दिया।
यह है मामला
सेक्टर-7 निवासी संतोष सिंह ने 2006 में नंदिनी के ज्ञानचंद जैन से जमीन का सौदा किया। 25 लाख की जमीन के बदले उसने ज्ञानचंद से 15 लाख रुपए एडवांस लिया। दोनों ने तय किया कि 2013 में शेष राशि का भुगतान कर जमीन की रजिस्ट्री की जाएगी। 2013 में जब ज्ञानचंद ने संतोष से जमीन रजिस्ट्री करने कहा तो उसने इंकार कर दिया। इसके बाद ज्ञानचंद ने 2014 को इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई। उतई थाना प्रभारी जगदीश उईके ने बताया कि मामले में संतोष के खिलाफ धारा 420, 467, 468 व 71 के तहत अपराध दर्ज कर कोर्ट में पेश किया गया। जहां से आरोपी को जेल भेजा गया।
कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
धोखाधड़ी के आरोपी जिला हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. अखिलेश यादव के मामले में भी पुलिस की किरकिरी हुई थी। आरोपी डॉक्टर को कोर्ट ने न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस उसे जिला हॉस्पिटल में बीमार बता कर भर्ती करवाया। कोर्ट की फटकार पड़ी तब आनन-फानन में डॉक्टर को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर जेल दाखिल करवाया गया। इस मामले टीआई से लेकर एसपी तक को कोर्ट में जवाब देना पड़ा था। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस पर तल्ख टिप्पणी की थी।
यह है मामला
सेक्टर-7 निवासी संतोष सिंह ने 2006 में नंदिनी के ज्ञानचंद जैन से जमीन का सौदा किया। 25 लाख की जमीन के बदले उसने ज्ञानचंद से 15 लाख रुपए एडवांस लिया। दोनों ने तय किया कि 2013 में शेष राशि का भुगतान कर जमीन की रजिस्ट्री की जाएगी। 2013 में जब ज्ञानचंद ने संतोष से जमीन रजिस्ट्री करने कहा तो उसने इंकार कर दिया। इसके बाद ज्ञानचंद ने 2014 को इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई। उतई थाना प्रभारी जगदीश उईके ने बताया कि मामले में संतोष के खिलाफ धारा 420, 467, 468 व 71 के तहत अपराध दर्ज कर कोर्ट में पेश किया गया। जहां से आरोपी को जेल भेजा गया।
कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
धोखाधड़ी के आरोपी जिला हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. अखिलेश यादव के मामले में भी पुलिस की किरकिरी हुई थी। आरोपी डॉक्टर को कोर्ट ने न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस उसे जिला हॉस्पिटल में बीमार बता कर भर्ती करवाया। कोर्ट की फटकार पड़ी तब आनन-फानन में डॉक्टर को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर जेल दाखिल करवाया गया। इस मामले टीआई से लेकर एसपी तक को कोर्ट में जवाब देना पड़ा था। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस पर तल्ख टिप्पणी की थी।
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