ऐसा क्या हुआ इस जिले में, प्रदेश के सबसे ज्यादा महतारियों की गोद यहां हो रही सूनी
दुर्गPublished: Oct 19, 2016 11:41:00 am
स्वास्थ्य विभाग के ई-महतारी कार्यक्रम के तहत वर्ष 2016-17 की जारी
रिपोर्ट में चौंकाने वाला सच सामने आया है। पिछले दस महीने में राज्य में
कुल 52 शिशुओं की मौत सरकारी अस्पताल में हुई है।
Most newborn deaths in Durg, Additional Collector cleaning, health secretary raised questions
भिलाई.स्वास्थ्य विभाग के ई-महतारी कार्यक्रम के तहत वर्ष 2016-17 की जारी रिपोर्ट में चौंकाने वाला सच सामने आया है। पिछले दस महीने में राज्य में कुल 52 शिशुओं की मौत सरकारी अस्पताल में हुई है, जिसमें से चिकित्सा, शिक्षा और स्वास्थ्य के पैमाने में प्रदेश में सबसे विकसित दुर्ग जिले में पैदा होते ही सबसे ज्यादा 36 नवजातों ने दम तोड़ा है। यह आंकड़े सिर्फ संस्थागत प्रसव के हैं। निजी अस्पतालों में शिशु मृत्यु का आंकड़ा मौजूदा आंकड़े से तीन गुना ज्यादा है। जिसका हिसाब खुद स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं है।
लापरवाही से बढ़े शिशु मृत्यु के मामले
रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर शिशुओं की मौत ठीक से केयर नहीं करने और उपचार में लापरवाही के कारण हुई है। जिसे स्वयं स्वास्थ्य विभाग भी झुठलाता रहा है। दुर्ग जिले में 36 नवजातों की मौत के आंकड़े से मौजूदा हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं रायपुर में 2,419 पंजीकृत शिशुओं के पीछे मात्र 6 शिशुओं की मौत हुई है।
इधर अवकाश पर चली गई सीएस
पां च माह की मासूम नव्या की मौत मामले में कारण बताओ नोटिस के जवाब की मियाद खत्म हो गई है। अभी तक इस मामले में सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य सचिव सुब्रत साहू को जवाब प्रस्तुत नहीं किया। वे वीआर का फार्म भरकर लंबे अवकाश में चली गई हैं। साहू ने कहा है कि अब वे जल्द ही कलक्टर से इस मामले की रिपोर्ट मांगकर आगे कार्रवाई करेंगे। उन्होंने साफ कहा है कि दोषी डॉक्टरों को बख्शा नहीं जाएगा।
सफाई कैसे दे सकते हैं अपर कलक्टर
6 अक्टूबर को 24 घंटे के अंतराल में सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही के कारण दो मासूमों की जान चली गई। डॉक्टरों की तरफदारी करने अपर कलक्टर केके अग्रवाल सामने आ गए। उन्होंने बकायदा 6 अक्टूबर को बयान जारी कर नव्या की मौत पर सफाई दी। मौत का कारण फार्म में देरी से साइन की जगह निमोनिया होना बता दिया। वहीं सिविल सर्जन और संबंधित शिशु रोग विशेषज्ञ को कारण बताओ नोटिस देने से भी इनकार कर दिया था। इस मामले में स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मुझे इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी नहीं है। रही बात नव्या की मौत मामले में मैंने स्वयं कलक्टर आर. शंगीता को नोटिस जारी करने आदेश दिया था। अपर कलक्टर कैसे सफाई दे सकते हैं।
डॉक्टरों के खिलाफ होगी कार्रवाई
उपचार में लापरवाही और मरीजों के साथ असंवेदनशील व्यवहार, पैसा मांगने की शिकायत पर स्वास्थ्य सचिव कड़ी कार्रवाई करने रणनीति बना रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के प्रति नरमी के सवाल पर बताया कि स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने स्वयं इस मामले को संज्ञान में लिया है। सरकारी डॉक्टरों का संवेदनहीन रवैया सुधारने की बात कह चुके हंै।
नोटिस का जवाब नहीं मिला
डॉक्टरों के दुव्र्यवहार पर जल्द ही कड़ी कार्रवाई होगी। डॉक्टरों की कमी को मुद्दा बनाकर मरीजों से दुव्र्यवहार स्वीकार नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव सुब्रत साहू ने बताया कि नव्या की मौत मामले में अभी तक मुझे कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं मिला है। जांच पूरी होते ही दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उपचार में लापरवाही और मरीजों से दुव्र्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। की मरोदा के जच्चा-बच्चा केंद्र में बेबी वार्मर मशीन नहीं होने पर नवजात को गर्मी देने के लिए दो सौ वॉट के बल्ब के नीचे सुला दिया। जिससे नवजात का पेट बुरी तरह झुलस गया। इंफेक्शन के बाद बच्चे की मौत हो गइ